रूस के बर्फीले इलाके साइबेरिया के डरावने जंगलों में तीन साल के एक बच्चे ने अकेले 72 घंटे बिताए हैं। ये जंगल वहां पाये जाने वाले भेड़िए और जंगली भालुओं के लिए जाने जाते हैं। जब सेरिन डोपचट जंगलों में खोया तब उसकी जेब में केवल एक चॉकलेट था।
'द साइबेरियन टाइम्स' के अनुसार उसने एक बड़े पेड़ के नीचे अपने रातें गुज़ारीं। सेरिन पेड़ की जड़ों के बीच एक सूखे स्थान पर सो गया। सेरिन को खोजने के लिए हवाई और ज़मीनी स्तर पर बड़ा अभियान चलाया गया था। माना जा रहा है कि वो एक पिल्ले के पीछे पीछे जंगलों में घुस गया था।
स्थानीय मीडिया के अनुसार सेरिन अपनी परदादी के साथ रहते थे और उनकी नज़रों से बच कर टूवा गणराय में जंगलों के बीच बसे गांव खुट के नज़दीकी इलाकों में चला गया। 72 घंटों तक वो कम तापमान, जंगली जानवरों के ख़तरे और तेज़ गति से बहने वाली नदी में गिर जाने के ख़तरे से जूझते रहे। सेरिन को उनके अंकल ने बचाया।
टूवा में नागरिक सुरक्षा और आपात स्थिति एजेंसी के प्रमुख अयास सेरीग्लार ने द साइबेरियन टाइम्स को बताया, 'हालात बेहद ख़तरनाक थे। मिनास नदी तेज़ बहती है और ठंडी है। अगर एक छोटा बच्चा इसमें गिर गया होता तो मौत तय थी।'
'जंगलों में भेड़िए हैं, भालू हैं। भालू सर्दियों में खाना जुटाने की तैयारी करते हैं। वो किसी भी चलती चीज़ पर हमला कर सकते हैं।'
उन्होंने बताया 'और तो और, दिन के समय इतनी ठंड नहीं होती लेकिन रात को बर्फ़ गिरती है। अगर हम यह मानें कि बच्चा दिन के समय खो गया था, तो वो सर्दी के पूरी तरह तैयार नहीं था, केवल शर्ट और जूते पहने था, कोई कोट नहीं।'
बच्चे को ढ़ूंढ़ने के लिए गांववालों समेत स्थानीय पुलिसकर्मी, और एक हेलीकॉप्टर को लगाया गया था। 120 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में खोज अभियान चलाया गया। एक अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बच्चे ने अपने अंकल की आवाज़ पहचान ली जो उसे पुकार रहे थे। जब सेरिन को उनके अंकल ने गले लगाया तो सेरिन का पहला सवाल था कि उसकी टॉय कार ठीक तरह से चल रही है या नहीं।
डॉक्टरों का कहना है कि सेरिन को किसी तरह की चोट नहीं आई। 'द साइबेरियन टाइम्स' के अनुसार गांव को लोग अब सेरिन को रूडयार्ड किपलिंग की किताब 'जंगल बुक' के किरदार मोगली के नाम से पुकार रहे हैं।