जयललिता के जाने से किस के लिए क्या बदलेगा?

Webdunia
मंगलवार, 6 दिसंबर 2016 (11:31 IST)
- इमरान क़ुरैशी (वरिष्ठ पत्रकार)
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता ने अपने कार्यकाल के दौरान राजनीति के साथ-साथ केंद्र और राज्य के संबंधों पर भी गहरा असर डाला। जयललिता के निधन के साथ ही तमिलनाडु ने वो नेता खो दिया है जिसने अपने राज्य के लिए भरसक संघर्ष किया। उन्होंने न केवल जनकल्याण की योजनाएं बनाईं बल्कि उन पर अमल भी सुनिश्चित किया। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार रोकने के लिए उन्होंने हर पुलिस वाले के मन में एक तरह से 'भगवान का डर' पैदा किया।
जयललिता अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह आम लोगों से ज़्यादा नहीं मिलती थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने तमिलनाडु को भारत के सबसे विकसित राज्यों में ला खड़ा किया। उनका स्टैंड सही रहा हो या गलत, उन्होंने अपने राज्य के हितों से कभी समझौता नहीं किया।
 
इस कड़ी में वो अपने समकालीन रहे लगभग सभी प्रधानमंत्रियों से टकराईं। उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं बख़्शा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके इससे पिछले दो पत्रों का पीएम की ओर जवाब नहीं मिला था।
 
डीएमके और एआईएडीएमके पर असर:-
जयललिता के निधन का मतलब है उनकी विरोधी पार्टी डीएमके अब कुछ चैन की सांस ले सकती है। एआईएडीएमके के पास अब हमेशा एक ऐसे नेता की विरासत रहेगी जिसने राजनीति में रुचि नहीं होने के बावजूद डीएमके के करुणानिधि जैसे धुरंधर नेता को पटखनी दी।

लेकिन एआईएडीएमके की विडंबना ये है कि उसके पास दूसरी पंक्ति के उस तरह के नेता नहीं हैं जिस तरह डीएमके के पास हैं। करिश्माई नेता 'अम्मा' के जाने के बाद एआईएडीएमके किस तरह आगे बढ़ेगी या बिखर जाएगी, इस बारे में आशंकाएं बनी रहेंगी।
 
कांग्रेस और बीजेपी के लिए राहत:-
केंद्र सरकार को जयललिता के रहते हुए तमिलनाडु की परियोजनाओं को क्लीयर करने के बारे में कड़े रुख़ का सामना करना पड़ता था। संभव है कि जयललिता की ग़ैर-मौजूदगी में ऐसा न हो।
 
केंद्र को अब कावेरी नदी के बंटवारे और मुल्ला पेरियार बांध के मामले में भी कुछ राहत महसूस होगी क्योंकि इन मामलों में अम्मा के रुख़ से कर्नाटक और केरल हमेशा भयभीत रहते थे। जयललिता के निधन से संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य संबंधों पर भी असर नज़र आएगा। केंद्र में बीजेपी रही हो या कांग्रेस, जयललिता ने किसी को नहीं बख़्शा था।
लेकिन अम्मा के निधन के बाद बीजेपी उनकी पार्टी में उभरने वाली कमज़ोरियों का तमिलनाडु की राजनीति में फ़ायदा उठा सकती है। वहीं, कांग्रेस को भी कुछ राहत मिलेगी क्योंकि जयललिता कांग्रेस का पुरज़ोर विरोध करती रही थीं जिसकी वजह से कांग्रेस डीएमके के अधिक करीब रही हैं।
Show comments

जरूर पढ़ें

Weather Update : मौसम में होगा उलटफेर, बंगाल की खाड़ी में आएगा चक्रवाती तूफान, IMD ने जारी किया Alert

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने की PM मोदी की तारीफ, बोले- उनके पास है भविष्य के लिए स्पष्ट योजना

Wayanad Election : प्रियंका गांधी 23 अक्टूबर को दाखिल करेंगी नामांकन, भाई राहुल के साथ करेंगी रोडशो

बड़ी खबर, देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी भारत-चीन की सेनाएं

मध्यप्रदेश उपचुनाव में दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा, विजयपुर और बुधनी में दिलचस्प मुकाबला

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

iPhone 16 को कैसे टक्कर देगा OnePlus 13, फीचर्स और लॉन्च की तारीख लीक

iPhone 16 सीरीज लॉन्च होते ही सस्ते हुए iPhone 15 , जानिए नया आईफोन कितना अपग्रेड, कितनी है कीमत

अगला लेख
More