मोदी-ममता मीटिंग विवाद: बंगाल सीएम के बैठक में शामिल न होने से क्या प्रोटोकॉल टूटा?

BBC Hindi
रविवार, 30 मई 2021 (10:07 IST)
शुभम किशोर, बीबीसी संवाददाता
 
पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में ममता बनर्जी के देर से पहुंचने और दस्तावेज़ सौंपने के बाद कथित तौर पर उनके तुरंत निकल जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
 
केंद्र ने इस वाक़ये के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली बुला लिया है। कुछ दिन पहले ही बंदोपाध्याय को केंद्र ने एक्सटेंशन दिया था। ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीज़ करने को लेकर अभी कुछ नहीं कहा है और आदेश को रद्द करने की मांग की है।
 
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी ने बीबीसी को बताया कि टीएमसी सूत्रों का कहना कि ममता इस मामले में क़ानूनी सलाह ले सकती हैं।
 
बीजेपी के नेताओं ने ममता पर प्रोटोकॉल तोड़ने और पीएम का अपमान करने के आरोप लगाए हैं। हालांकि ममता बनर्जी ने इन आरोपों से इनकार किया है।
 
ममता ने क्या कहा?
उन्होंने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पहले समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी। इसके लिए मैंने अपने दौरे में कटौती की और कलाईकुंडा जाने का कार्यक्रम बनाया।
 
"लेकिन बाद में बैठक में आमंत्रितों की संशोधित सूची में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्ष के नेता का नाम भी शामिल किया गया। इसलिए मैंने बैठक में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि यह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच बैठक थी ही नहीं..."
 
हालांकि बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता के आरोपों को ग़लत बताया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के सीएम, दोनों को मीटिंग के बारे में एक ही प्रक्रिया के तहत बताया गया था। वो (ममता बनर्जी) बहाने बना रही हैं।
 
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि वो विपक्ष के नेता के कारण मीटिंग में नहीं आईं। वो अपने अहम के लिए झूठ बोल रही हैं, वो ख़ुद को बंगाल की नहीं, पूरे देश का सीएम मानती हैं।
 
मुझे काफ़ी देर इंतज़ार करना पड़ा - ममता
ममता ने कहा, "एटीसी ने प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरने की वजह से मुझे 20 मिनट की देरी से सागर द्वीप से कलाईकुंडा के लिए रवाना होने को कहा था।"
 
"उसके बाद कलाईकुंडा में भी करीब 15 मिनट बाद हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति मिली। तब तक प्रधानमंत्री पहुंच गए थे। मैंने वहां जाकर उनसे मुलाकात की अनुमति मांगी। लेकिन काफी इंतजार के बाद मुझे उनसे मुलाकात की अनुमति दी गई।"
 
"मैंने प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपी और उनकी अनुमति लेकर दीघा के लिए रवाना हो गईं लेकिन शाम को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दफ्तर से मुझे बदनाम करने के अभियान के तहत लगातार खबरें और बयान जारी किए गए।"
 
"उसके बाद राज्य सरकार से सलाह-मशविरा किए बिना मुख्य सचिव को अचानक दिल्ली बुला लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार हमेशा टकराव के मूड में रही है। चुनावी नतीजों के बाद भी राज्यपाल और दूसरे नेता लगातार आक्रामक मूड में हैं।" "दरअसल, भाजपा अपनी हार नहीं पचा पा रही है। इसलिए बदले की राजनीति के तहत यह सब कर रही है।"
 
ममता ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाकर केंद्र सरकार तूफान राहत और कोविड के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अशांत करना चाहती है।
 
ममता ने केंद्र से मुख्य सचिव को प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का आदेश रद्द करने की अपील की। उन्होंने कहा, "मुख्य सचिव को राजनीतिक बदले का शिकार मत बनाएं।"
 
आधिकारिक मुलाक़ात पर संशय कैसे?
बीजेपी का कहना है कि पीएम को इंतज़ार करना पड़ा और ममता का कहना है कि उन्होंने इजाज़त ली थी, दोनों में विरोधाभास है। पीएम और सीएम के बीच किसी मीटिंग को लेकर ऐसा विरोधाभास आम नहीं है। दोनों की तरफ़ से समय रहते जानकारियां एक दूसरे को दी जाती हैं। हर मिनट का एक शेड्यूल तैयार किया जाता है।
 
लेकिन ममता का आरोप है कि मीटिंग का स्वरूप बदला दिया गया था और ये "मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच की बैठक नहीं थी"। इसलिए उनके मीटिंग में न जाने को लेकर विवाद नहीं होना चाहिए।
 
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं, "अगर ये सीएम और पीएम के बीच की मुलाकात नहीं थी, तो पहले भी मुख्यमंत्री ऐसी मीटिंग छोड़ते रहे हैं, खुद पीएम मोदी भी सीएम रहते ऐसा कर चुके हैं।" लेकिन इस बार के घटनाक्रम के कारण ममता पर बीजेपी राजनीति करने और पीएम के अपमान का आरोप लगा रही है।
 
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विट कर लिखा है, "दीदी ने लोगों की भलाई के ऊपर अपनी ज़िद को रखा है, उनका रवैया यही दिखाता है।" बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, "प्रधानमंत्री की बैठक से उनकी अनुपस्थिति संवैधानिक मर्यादा और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है।"
 
क्या ममता ने विरोध में लिया फ़ैसला?
राजनीति के आरोप पीएम पर भी लग रह हैं। बीबीसी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी ने कहा, "टीएमसी के कुछ सूत्रों के मुताबिक, उस मीटिंग में बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी को भी न्योता दिया गया था। ममता को जब ये पता चला तो उन्होंने मीटिंग में जाने से इनकार कर दिया।"
 
ममता ने अपनी सफ़ाई में इस बात का भी ज़िक्र किया है कि "राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्ष" के नेताओं का नाम जोड़ने से मीटिंग सीएम और पीएम के बीच की नहीं रही। हालांकि उन्होंने खुलकर शुभेंदु अधिकारी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोला।
 
पीएम ने उसी दिन ओडिशा के सीएम, राज्यपाल और अधिकारियों से मुलाकात की। ममता ने उस मीटिंग में नेता विपक्ष को नहीं बुलाए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "आखिर गुजरात और ओडिशा में तो ऐसी बैठकों में विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया था।"
 
हालांकि शुभेंदू अधिकारी ने ममता पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कुछ तस्वीरें ट्वीट कर लिखा, " पहले भी पीएम बाढ़, तूफान जैसी आपदाओं के समय उन मुख्यमंत्रियों से मिल चुके हैं, जो एनडीए के नहीं हैं। किसी ने भी ममता दीदी की तरह बर्ताव नहीं किया। राजनीति का समय अलग होता है, और सरकार चलाने का अलग, दीदी को ये समझना होगा।"
 
शुभेंदू अधिकारी ने ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से हराया था। दोनों के बीच पहले भी तनातनी की ख़बरे आ चुकी हैं।
 
सीएम रहते हुए मोदी भी मीटिंग से रह चुके हैं ग़ैर-हाज़िर
बीजेपी ममता पर पीएम के अपमान का आरोप लगा रही है, लेकिन सीएम रहते हुए मोदी प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग से ग़ैर हाज़िर रह चुके हैं।
 
साल 2013 में मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद मनमोहन सिंह ने नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल की मीटिंग बुलाई थी जिसमें तब गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने हिस्सा नहीं लिया था।
 
बीजेपी के छत्तीसगढ़ के तत्कालीन सीएम रमन सिंह भी इस मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। तब नरेंद्र मोदी को भी काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
 
लाल क़िले जैसे मंच से भाषण
साल 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लाल क़िले से दिए गए भाषण के बाद गुजरात के कच्छ में मोदी ने उनके भाषण की आलोचना के दौरान कहा था, "टीवी चैनल, मीडिया बता रहे हैं कि ये पीएम मनमोहन सिंह का आखिरी भाषण है। वो (पीएम) कह रहे हैं, उन्हें बहुत दूर जाना है। वो किस रॉकेट पर बैठकर ये दूरी तय करना चाहते हैं?" इसके कुछ दिनों के बाद नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में लाल क़िले की तर्ज़ पर बनाए गए एक स्टेज से भाषण दिया था।
 
आपदा के दौरान राजनीति
मुंबई हमले के दौरान नरेंद्र मोदी पर आपदा के दौरान राजनीति करने के आरोप लगे थे। 28 नवंबर को तब सुरक्षाबलों की कार्रवाई चल ही रही थी, नरेंद्र मोदी ने मुंबई के होटल ओबेरॉय के पास एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर महमोहन सिंह की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, "देश को प्रधानमंत्री से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन कल का भाषण निराशाजनक रहा।"
 
वहीं से उन्होंने मारे गए जवानों के परिवारों के लिए आर्थिक मदद का ऐलान किया था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई मौकों पर राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ विवाद हो चुके हैं।
 
केजरीवाल ने मीटिंग लाइव की
23 अप्रैल को नरेंद्र मोदी देश के सर्वाधिक प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे थे। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बोलना शुरू किया तो उनका भाषण लाइव स्ट्रीम होने लगा।
 
इस पर नरेंद्र मोदी ने कड़ी आपत्ति जताई। नरेंद्र मोदी ने कहा, "ये हमारी जो परंपरा है, हमारे जो प्रोटोकॉल हैं, उसके बहुत ख़िलाफ़ हो रहा है कि कोई मुख्यमंत्री ऐसी इन-हाउस मीटिंग को लाइव टेलिकास्ट करे। ये उचित नहीं है। इसका हमें हमेशा पालन करना चाहिए।"
 
मोदी की इस टिप्पणी पर मुख्यमंत्री केजरीवाल असहज हो गए और उन्होंने कहा, "ठीक है सर, इसका ध्यान रखेंगे आगे से। अगर मेरी ओर से कोई गुस्ताख़ी हुई है। मैंने कुछ कठोर बोल दिया है, मेरे आचरण में कोई ग़लती है तो उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ।"
 
अरविंद केजरीवाल ने अपने संबोधन में कोरोना को लेकर नेशनल प्लान की बात की। ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने ऑक्सीजन टैंकर्स को रोके जाने की बात कही और पीएम मोदी से इसके सामाधान की अपील की। बाद में समाचार एजेंसी एएनआई ने केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी कि इस बैठक को लाइव नहीं किया जाना चाहिए था।
 
हेमंत सोरेन का मोदी पर आरोप
6 मई को पीएम मोदी से फोन पर बातचीत के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर लिखा, 'आज आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया। उन्होंने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते। इस बयान को लेकर भी काफ़ी विवाद हुआ, बीजेपी शासित राज्यों के सीएम समेत बीजेपी नेताओं ने सोरेन की कड़ी आलोचना की।'
 
ममता ने पहले भी लगाया है आरोप
20 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को ये आरोप लगाया कि कोरोना महामारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में कई मुख्यमंत्रियों को बोलने नहीं दिया गया और कहा कि ये 'अपमानजनक' था।
 
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक को सुपर फ्लॉप बताया था जबकि समाचार एजेंसी पीटीआई ने केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा है कि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की बैठक में हिस्सा नहीं लेती रही हैं। कोरोना महामारी की स्थिति पर हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महराष्ट्र समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया था।
 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये भी दावा किया है कि इस मीटिंग में केवल भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने दिया गया जबकि बाक़ी लोगों की स्थिति 'कठपुतली' जैसी कर दी गई थी।
 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास कोरोना महामारी से लड़ने की कोई मुनासिब योजना नहीं है। ये एक सामान्य सी और सुपर फ्लॉप मीटिंग थी। हमें ये अपमानजनक लगा। ये देश के संघीय ढांचे को नष्ट करने की कोशिश है। प्रधानमंत्री मोदी इतने असुरक्षित महसूस करते हैं कि उन्होंने हमारी नहीं सुनी।
 
टीएमसी-बीजेपी के बीच चुनाव के पहले से विवाद
चुनाव प्रचार के दौरान टीएमसी और बीजेपी के नेताओं ने एक दूसरे पर तल्ख टिप्पणियां की थीं। दोनों ही एक दूसरे पर लोकतंत्र को अपमानित करने के आरोप लगाते रहे। ममता ने चुनाव पर मोदी के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया तो मोदी के 'दीदी' वाले बयान की बहुत आलोचना हुई।
 
चुनाव नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई। राज्यपाल और बीजेपी के नेताओं ने टीएमसी पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए, जिससे टीएमसी इनकार करती रही।

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