- नीरज सिन्हा
शनिवार 29 अप्रैल को झारखंड की राजधानी रांची की अलग-अलग सड़कों पर कुछ ख़ास नज़ारा देखने को मिला। यहाँ पुरुषों का वेश धारण कर जनजातीय महिलाओं ने 'जनी शिकार' किया। जनी शिकार यानी जानवरों का शिकार। बताया जाता है कि यह 'जनी शिकार' 12 साल में एक बार होता है।
इस शिकार में शामिल महिलाओं ने बताया कि यह परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है जो हर 12 साल में आयोजित होता है। कई सालों पहले रोहतासगढ़ के सिनगी दई नाम की वीरांगना के पुरुषों का वेश बनाकर अपना गढ़ बचाने के लिए युद्ध करने और उसमें विजय प्राप्त करने की याद में ये परंपरा शुरू हुई थी। इसमें आदिवासी महिलाएं पुरुषों का ड्रेस पहनकर जनी शिकार में निकलती हैं।
जनी शिकार में निकली महिलाओं को रास्ते में जो भी जानवर (बकरी, सुअर, मुर्गा, खस्सी आदि) मिलते था उनका शिकार कर लेती थी लेकिन ऐसा करने से अब जानवरों के मालिकों से दुश्मनी होने लगी है।