Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सविता जिनकी वजह से बदला आयरलैंड का गर्भपात कानून

हमें फॉलो करें सविता जिनकी वजह से बदला आयरलैंड का गर्भपात कानून
, रविवार, 27 मई 2018 (12:37 IST)
25 मई को आयरलैंड में गर्भपात कानून को लेकर कराए गए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में लोगों ने गर्भपात कानूनों में बदलाव के समर्थन में वोट किया है और अब यहां की महिलाएं भी गर्भपात करा सकेंगी।
 
जनमत संग्रह के शुरुआती नतीजों के मुताबिक 66 प्रतिशत से अधिक लोगों ने गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने के लिए संविधान में संशोधन के पक्ष में वोट किया है। आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इसी साल नया गर्भपात क़ानून पारित हो जाएगा।
 
वरदकर ने कहा कि यह नतीजे बदलाव के लिए है। उन्होंने कहा, 'यह लोकतंत्र की परीक्षा है जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। कई चीजें हुईं। साहसी महिलाओं और पुरुषों ने अपनी निजी कहानियां बताईं कि कैसे 8वें संशोधन ने उनके जीवन पर गंभीर नकारात्मक असर डाला। न केवल पिछले कुछ हफ़्तों, महीनों बल्कि कुछ सालों में उन कहानियों को सुनकर आयरलैंड के लोगों ने गर्भपात को लेकर अपना एक नजरिया बनाया है।'
 
फिलहाल, आयरलैंड में केवल उस परिस्थिति में ही महिलाओं को गर्भपात (बच्चा गिराने) की इजाजत है जब उनकी जिंदगी खतरे में हो। बलात्कार, सगे-संबंधियों के साथ यौन संबंध या भ्रूण संबंधी घातक असामान्य स्थिति में गर्भपात की इजाजत नहीं है।
 
दरअसल, आयरलैंड में यह जनमत-संग्रह गर्भपात पर दशकों तक चली बहस का नतीजा है। गर्भपात न होने की वजह से मौत को कई मामले भी हुए और उन कई मामलों में से एक अहम किरदार उस भारतीय महिला का भी है जिसकी मौत आज से छह साल पहले आयरलैंड में गर्भपात की इजाज़त नहीं दिए जाने के कारण हो गई थी।
 
गर्भपात जनमत संग्रह का इंडियन कनेक्शन
आयरलैंड में भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार का छह साल पहले मिसकैरेज हो गया था. हालांकि कड़े कैथोलिक कानून के चलते गर्भपात कराने की कई बार मांग कर चुकी सविता को इसकी इजाज़त नहीं दी गई। इस वजह से उनकी मौत हो गई थी।
 
तब उनके पति ने बीबीसी को बताया था कि डॉक्टरों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया था क्योंकि सविता का भ्रूण जीवित था।
 
सविता के पति प्रवीण ने तब बीबीसी से कहा था, 'पहले तो वो मां बनने को लेकर बहुत खुश थी लेकिन बाद में उसे बहुत तेज़ दर्द होने लगा और ऐसे में वह गर्भपात कराने को कह रही थी लेकिन गॉलवे के अस्पताल वालों ने यह कह मना कर दिया कि कैथोलिक देश में उसे गर्भपात नहीं कराना चाहिए।'
 
प्रवीण के मुताबिक सविता ने चिकित्सकों से कहा भी कि वह हिंदू है, कैथोलिक नहीं तो उन पर यह कानून क्यों थोपा जा रहा है। ऐसे में चिकित्सक ने माफी मांगते हुए कहा- दुर्भाग्य से यह एक कैथोलिक देश है और यहां के कानून के मुताबिक हम जीवित भ्रूण का गर्भपात नहीं करेंगे।
 
प्रवीण ने कहा, 'मेरे पास बुधवार (24 अक्टूबर 2012) की देर रात साढ़े बारह बजे फोन आया कि सविता के हृदय की गति तेजी से बढ़ रही है और हम उन्हें आईसीयू में ले जा रहे हैं। इसके बाद हालात खराब होते गए। शुक्रवार (26 अक्टूबर 2012) को मुझे बताया गया कि सविता की तबीयत बेहद खराब है।
 
प्रवीण के मुताबिक सविता के कुछ अंगों ने तब तक काम करना बंद कर दिया था. 28 अक्तूबर यानी रविवार को सविता की मौत हो गई।
 
सविता की मौत पर तब आयरलैंड में भारतीय मूल के डॉक्टर सीवीआर प्रसाद ने बीबीसी को बताया था, 'यह एक गंभीर समस्या है, यहां मां की जान से भ्रूण की जान को अधिक अहमियत दी जा रही है, जब सबसे पहले यही लिखा हो गर्भपात करना अपराध है तो फिर कौन डॉक्टर मुसीबत मोल लेगा।'
 
सविता की मौत के बाद आयरलैंड के गर्भपात क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे।
 
जिसके बाद वहां की सरकार ने गर्भपात के मुद्दे पर क़ानूनी स्पष्टता लाने की घोषणा की और कहा कि वो एक ऐसा क़ानून बनाएगी जिसमें मां को जान का जोखिम होने पर गर्भपात का प्रावधान होगा। तब वहां के डॉक्टरों के लिए ऐसे कोई दिशा-निर्देश नहीं थे कि उन्हें किन स्थितियों में गर्भपात करना है और किनमें नहीं।
 
इसके बाद ही मां की जिंदगी खतरे में होने पर गर्भपात की मंजूरी के लिए 2013 में इस क़ानून में बदलाव किया गया था।
 
सविता हलप्पनवार की मौत उनके शादी के चार साल 28 अक्टूबर 2012 को हुई थी। कर्नाटक के हुबली जिले के मूल निवासी उनके वैज्ञानिक पति प्रवीण हलप्पनवार आयरलैंड में छह सालों से रह रहे थे। सविता खुद दातों की डॉक्टर थीं।
 
उनकी मौत का मामला वहां की अदालत में गया जहां ज्यूरी ने उसे 'चिकित्सकीय हादसा' करार दिया। लेकिन उनके परिवार का कहना है कि अगर गर्भपात की अनुमति दी जाती तो सविता की जान बचाई जा सकती थी।
 
बीबीसी संवाददाता इमरान कुरैशी ने सविता हलप्पनवार के पिता अंदानेप्पा यालागिसे बात की और उनसे तब सविता की तबियत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, '21 अक्टूबर 2012 को अस्पताल में भर्ती करवाया था। तब उसकी हालत ठीक थी। उसने कहा था कि पापा आप आराम से जाइए। हमें भी लगा कि उसकी तबीयत ठीक है तो हम 24 तारीख को डबलिन से बैंगलोर आ गए थे। लेकिन इसके दो-तीन दिन बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और 28 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई।'
 
उन्होंने कहा, 'मेरी बेटी की मौत हुए छह साल हो गए हैं। हमारी मांग है कि आयरलैंड के क़ानून से गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए। जो हालत हमारी हुई है वो दूसरों की न हो।'
 
सविता के पिता ने बताया कि उनके पति दूसरी शादी कर चुके हैं और फिलहाल अमेरिका में हैं।
 
कानून में बदलाव क्यों नहीं हो रहा था?
आयरलैंड के कानून में परिवर्तन के लिए महिला संगठन लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं मगर बहुसंख्यक कैथोलिक समुदाय में ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो हर हाल में गर्भपात के विरोधी हैं।
 
गॉलवे यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफ़ेसर रह चुकीं डॉक्टर नाटा डूवेरी ने बताया, 'यह विशुद्ध रूप से वोट की राजनीति है। कोई भी राजनीतिक दल कैथोलिक समुदाय को नाराज नहीं करना चाहता। सभी इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया अपनाते हैं। ये दोहरे मानदंड हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि लड़कियां गर्भपात के लिए ब्रिटेन जाएंगी मगर वे इस बारे में कुछ नहीं करते।'

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

देश बदलना है तो देना होगा युवाओं को सम्मान