क्या भारत और पाकिस्तान अगली बार पानी के लिए लड़ेंगे?

Webdunia
गुरुवार, 22 दिसंबर 2016 (16:19 IST)
- नवीन सिंह खड़का (पर्यावरण संवाददाता)
सिंधु घाटी की नदियों के पानी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए भारत अपनी कोशिशें तेज कर रहा है। आला अधिकारियों ने बीबीसी को इसकी जानकारी दी। तीन नदियां भारत प्रशासित कश्मीर से होकर बहती हैं लेकिन उनका ज्यादातर पानी पाकिस्तान को आवंटित होता है। और ऐसा एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत होता है।
अधिकारियों ने बताया कि पानी के ज्यादा इस्तेमाल के मकसद से बड़े जलाशय और नहरें बनाई जाएंगी। जानकारों का कहना है कि कश्मीर के मुद्दे पर दबाव बनाने के लिए भारत पानी के मुद्दे का इस्तेमाल कर रहा है। सितंबर में एक भारतीय ठिकाने पर जानलेवा चरमपंथी हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़े हैं।
 
पाकिस्तान इन हमलों में हाथ होने से इनकार करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि एक टास्कफोर्स वाटर प्रोजेक्ट पर तफसील से काम कर रही है। उन्होंने इस मुद्दे को सरकार की प्राथमिकता सूची में रखा है। एक सरकारी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, "इस दिशा में काम शुरू हो गया है और हम जल्द ही इसके नतीजे देखेंगे। इनमें से ज्यादातर घाटी में नए जलाशयों के निर्माण के बारे में है।"
 
एक दूसरे अधिकारी ने बताया, "हम उस इलाके से पूरी तरह से वाकिफ हैं। हमने पानी के भंडार के लिए कई निर्माण कार्य किए हैं।" लेकिन वे आगे कहते हैं, "हम यहां कुछ सालों से इसके बारे में बात करते आ रहे हैं।"
कितना पानी दांव पर है?
भारत सिंधु, चेनाब और झेलम नदी के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहता है। दोनों ही देशों में लाखों लोग इसके पानी पर निर्भर हैं। भारत के जल संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी जोर देकर कहते हैं कि यह कार्रवाई सिंधु जल समझौते के दायरे में ही होगी। सितंबर में एक भारतीय सैन्य ठिकाने पर चरमपंथी हमले के बाद भारत ने इस समझौते की समीक्षा शुरू कर दी। इस चरमपंथी हमले में भारत के 19 सैनिक मारे गए थे। भारत ने इन हमलों के लिए पाकिस्तान पर आरोप लगाया और दोनों देशों के रिश्ते फिर से बिगड़ने लगे।
 
नतीजा दोनों देशों की सरहदों पर तनाव के रूप में देखने को मिला। सिंधु जल समझौते पर 1960 में दस्तखत किए गए थे। रावी, व्यास और सतलज नदी का पानी भारत के हिस्से में गया तो सिंधु, झेलम और चेनाब का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया। भारत का कहना है कि उसने अपने हिस्से के 20 फीसदी पानी का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है। पाकिस्तान इस दावे का खंडन करता है। अधिकारी कहते हैं कि सिंधु जल समझौता भारत को इन नदियों के पानी से 14 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई करने का अधिकार देता है।
 
लेकिन वे कहते हैं कि फिलहाल आठ लाख एकड़ी जमीन की सिंचाई ही की जा पा रही है। वे आगे बताते हैं कि पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण को भी तेज किया जाएगा। भारत फिलहाल सिंधु, झेलम और चेनाब नदी से 3000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करता है लेकिन सिंधु घाटी के बारे में कहा जाता है कि इसमें 19000 मेगावॉट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है।
 
जल समझौता कितना सुरक्षित?
भारत की गतिविधियों पर पाकिस्तान करीबी नजर रखे हुए हैं। पिछले महीने 'जल, शांति और सुरक्षा' के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में हुई एक खुली बहस में पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र के लिए राजदूत मलीहा लोदी ने 'दागागिरी और लड़ाई के औजार' के तौर पर पानी के इस्तेमाल करने का इलजाम लगाया।
उन्होंने कहा, "अगर कोई एक पक्ष समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता है या फिर इसे तोड़ने की धमकी देता है तो इसके क्या अंजाम हो सकते हैं। सिंधु जल समझौता इसकी अच्छी नजीर पेश करता है।" विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम समझौता तो बच जाएगा क्योंकि भारत इससे बाहर निकलने के बारे में बात नहीं कर रहा है।
 
लेकिन उनका मानना है कि सिंधु, झेलम और चेनाब से पानी के ज्यादा इस्तेमाल का मुद्दा दोनों देशों के बीच तनाव को हवा दे सकता है। भारत की कुछ मौजूदा परियोजनाओं से पाकिस्तान पहले से ही नाखुश है। उसने ये मुद्दा विश्व बैंक के सामने उठाया भी है। सिंधु घाटी में भारत की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर हुए विवाद के बाद अंतरराष्ट्रीय पंचाट में विश्व बैंक दोनों देशों के बीच एक समझौते करा चुका है।
 
हालांकि भारत ने इस पर एतराज जताया जिसके बाद विश्व बैंक ने कदम पीछे खींच लिए। लेकिन रिजर्व बैंक ने दोनों देशों को अपने मतभेद सुलझाने के लिए मनाने की कोशिश की। डर इस बात का था कि कहीं सिंधु जल समझौते के अस्तित्व पर ही सवाल न खड़ा हो जाए। 1987 में भारत ने पाकिस्तान के विरोध के बाद झेलम नदी पर तुलबुल परियोजना का काम रोक दिया था लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि जल संसाधन मंत्रालय इसे फिर से शुरू कर सकता है।
 
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया, "तुलबुल परियोजना को स्थगित करने की समीक्षा का फैसला ये संकेत देता है कि मोदी सरकार की मंशा पाकिस्तान के विरोध के बावजूद इसे फिर से शुरू करने की है। भारत झेलम के पानी पर नियंत्रण करेगा तो इसका असर पाकिस्तान की खेतीबारी पर पड़ेगा।"
 
भारत के क्या विकल्प हैं?
कुछ जानकारों का कहना है कि भारत सिंधु जल समझौता की समीक्षा की मांग भी कर सकता है। दक्षिण एशिया में बांधों और नदियों पर काम करने वाले हिमांशु ठक्कर कहते हैं, "इस समीक्षा का इस्तेमाल नदियों पर ज्यादा हक की मांग के लिए किया जा सकता है।" कुछ जल विशेषज्ञों का कहना है कि भारत कोई भी कदम उठाने से पहले चीन के बारे में विचार जरूर करेगा।
 
चीनी समाचार एजेंसी शिनहुआ ने सितंबर में एक रिपोर्ट में कहा कि तिब्बत ने अपनी सबसे अहम पनबिजली परियोजना के लिए ब्रह्मपुत्र नदी की एक धारा को ब्लॉक कर दिया था। यह खबर तभी आई जब भारत में सिंधु जल समझौते से बाहर निकलने की खबरें मीडिया में चल रही थीं। हिमांशु ठक्कर कहते हैं, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है।''
Show comments

जरूर पढ़ें

Bomb threat : 50 उड़ानों में बम की धमकी मिली, 9 दिन में कंपनियों को 600 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

Gold Silver Price Today : चांदी 1 लाख रुपए के पार, सोना 81000 के नए रिकॉर्ड स्तर पर

दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

iPhone 16 को कैसे टक्कर देगा OnePlus 13, फीचर्स और लॉन्च की तारीख लीक

अगला लेख
More