Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सिलाई मशीन ने कैसे बदली महिलाओं की ज़िंदगी?

हमें फॉलो करें सिलाई मशीन ने कैसे बदली महिलाओं की ज़िंदगी?
, शुक्रवार, 17 जनवरी 2020 (11:18 IST)
टिम हारफोर्ड, बीबीसी संवाददाता
कभी आपने सोचा है कि छोटी-छोटी चीज़ें किस तरह समाज में बड़े परिवर्तनों को अंजाम देती हैं। सिलाई मशीन भी ऐसी ही एक चीज़ है जो महिलाओं की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई। ये कहानी ज़रा पुरानी है- लगभग 170 साल पुरानी। मगर सिलाई मशीन का जादू आज भी कायम है। आज भी दुनियाभर में महिलाओं के उत्थान की तमाम योजनाओं के केंद्र में सिलाई मशीन ही है।

जब भौंचक्के रह गए कुछ लोग
सन 1850 से कई साल पहले की बात है। अमरीकी सामाजिक कार्यकर्ता एलिजाबेथ केडी स्टेंटन महिलाओं के अधिकारों को लेकर अपनी बात रख रही थीं।
 
स्टेंटन ने अपने भाषण में महिलाओं को मताधिकार देने की बात कही। उनकी बात सुनकर उनके करीबी समर्थक भी भौंचक्के रह गए क्योंकि उनके समर्थकों के लिए भी ये उस वक्त बेहद महत्वाकांक्षी बात थी। लेकिन ये वो समय था जब समाज धीरे-धीरे बदल रहा था।

असफल एक्टर ने बनाई सिलाई मशीन
अभिनय की दुनिया में असफल रहने के बाद बॉस्टन में एक शख़्स दुकान किराए पर लेकर कुछ मशीनें बेचने और नई मशीनें इजाद करने की कोशिश कर रहे थे। ये असफल एक्टर लकड़ी के अक्षर बनाने वाली मशीन बेचने की कोशिश में लगे थे।

ये वो समय था जब लकड़ी के अक्षर चलन से बाहर जा रहे थे। ये सब कुछ चल ही रहा था कि एक दिन दुकान के मालिक ने इस असफल एक्टर को बुलाकर एक मशीन का प्रोटोटाइप दिखाया।

दुकान के मालिक इस मशीन के डिज़ाइन को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे थे। उनसे पहले दशकों से लोग इस मशीन पर काम कर रहे थे लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल रही थी। ये एक सिलाई मशीन थी जिसको बेहतर बनाने में दुकान मालिक को अपने किराएदार के अनुभव की ज़रूरत थी।

14 घंटे में सिलती थी एक शर्ट
उस दौर के समाज में सिलाई मशीन एक बड़ी चीज़ हुआ करती थी। तत्कालीन अख़बार न्यूयॉर्क हेराल्ड ने अपनी एक ख़बर में लिखा था, ऐसा कोई कामगार समाज नहीं है जिसे कपड़े सिलने वालों से कम पैसा मिलता हो और जो उनसे ज़्यादा मेहनत करता हो।
 
इस दौर में एक शर्ट बनाने में 14 घंटे से ज़्यादा का समय लगता था। ऐसे में एक ऐसी मशीन बनाना बड़ी व्यापारिक सफलता का वादा था जो कि सरल हो और कपड़े सिलने में कम समय लेती हो।
 
सिलाई करने वालों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चियां थीं। इस काम ने महिलाओं की ज़िंदगी को बोझिल बना दिया था। क्योंकि वे दिन के ज़्यादातर घंटे कपड़े सिलने में ही बिताया करती थीं।

महिलाओं की चुप्पी
दुकान के मालिक ने जब अपने किराएदार को ये सिलाई मशीन दिखाई तो इस असफल एक्टर ने कहा, आप उस एक चीज़ को ही ख़त्म करना चाहते हैं जो कि महिलाओं को शांत रखती है।

ये असफल कलाकार और अविष्कारक थे- आइज़ैक मेरिट सिंगर। सिंगर करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक थे। लेकिन उन्हें एक व्यभिचारी शख़्स भी बताया जाता था। उन्होंने 22 बच्चों को जन्म दिया था। एक महिला ने तो उन पर पीटने का अभियोग भी लगाया था।

सिंगर कई सालों तक अपने तीन परिवार चलाते रहे और किसी भी पत्नी को सिंगर की दूसरी पत्नी के बारे में नहीं पता था। सिंगर एक तरह से महिलाओं के अधिकारों के समर्थक नहीं थे। हालांकि उनके व्यवहार ने कुछ महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की वजह ज़रूर दी।

आइज़ैक मेरिएट सिंगर
सिंगर के बायोग्राफ़र रूथ ब्रेंडन टिप्पणी करते हैं कि वह एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने फेमिनिस्ट मूवमेंट को मज़बूती प्रदान की थी। सिंगर ने सिलाई मशीन के प्रोटोटाइप को देखने के बाद उसमें कुछ परिवर्तन किए और अपने परिवर्तनों वाली मशीन को लेकर पेटेंट करवा लिया।

मशीन इतनी बेहतरीन थी जिससे एक शर्ट को बनाने में लगने वाला समय 14 घंटों से घटकर मात्र एक घंटा हो गया। दुर्भाग्य से ये मशीन उन तकनीकों पर भी आधारित थी जिन पर दूसरे आविष्कारकों का पेटेंट था। इनमें आंख की आकृति जैसी सुई थी जो कि धागे को कपड़े से बांधने का काम करती थी।

इसके साथ ही कपड़े को आगे बढ़ाने की तकनीक का पेटेंट भी किसी और आविष्कारक के नाम पर था। 1850 के दौरान सिलाई मशीन और उसकी डिज़ाइन पर अधिकारों को लेकर संघर्ष सामने आया। सिलाई मशीन बनाने वाले मशीन बेचने से ज़्यादा अपने प्रतिस्पर्धियों को कानूनी मामलों में फंसाने में व्यस्त थे।

आख़िरकार एक वकील ने सभी निर्माताओं को सलाह दी कि सिलाई मशीन बनाने के व्यापार से जुड़े चार व्यापारियों के पास उन सभी तकनीकों के पेटेंट हैं जो कि एक बेहतरीन सिलाई मशीन बनाने के लिए ज़रूरी हैं। और ऐसे में एक दूसरे पर कानूनी केस करने की जगह वे अपनी तकनीकों को एक दूसरे को इस्तेमाल करने दें और इस समूह के बाहर के व्यापारियों पर कानूनी केस करें।

इन कानूनी पचड़ों से आज़ाद होते ही सिलाई मशीन का बाज़ार आसमान छूने लगा। लेकिन इस बाज़ार पर सिंगर का अधिपत्य हुआ। ये एक ऐसी बात थी जिसे सिंगर के प्रतिस्पर्धियों के लिए मानना मुश्किल था। वो मानते थे कि इसके लिए सिंगर के कारखाने ज़िम्मेदार थे।

सिंगर के प्रतिस्पर्धी अमरीकी सिस्टम के तहत नए दौर के उपकरणों और तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। जबकि सिंगर की मशीनों में अभी भी सामान्य नट-बोल्ट वाली प्रणाली चल रही थी।

सिंगर कैसे बने बड़े व्यापारी
तमाम दिक्कतों के बावजूद सिंगर और उनके बिजनेस पार्टनर एडवर्ड क्लार्क ने मार्केटिंग के ज़रिए अपने व्यापार को आसमान पर पहुंचाया। इस दौर में सिलाई मशीनें काफ़ी महंगी हुआ करती थीं और एक मशीन को खरीदने में महीनों की कमाई लगा करती थी।

क्लार्क ने इस समस्या के समाधान के लिए एक नया मॉडल विकसित किया। इसके तहत लोग मशीन की पूरी क़ीमत चुकाए बिना मासिक तौर पर किराए पर मशीन ले सकते थे। जब उनके किराए की कुल क़ीमत मशीन की क़ीमत के बराबर हो जाती थी तो मशीन इस्तेमाल करने वाले की हो जाती थी। इस तरह सिलाई मशीन अपनी पुरानी नाकामयाब और धीमे काम करने वाली मशीन की छवि से आज़ाद हो गई।

सिंगर के सेल्स एजेंट लोगों के घर जाकर मशीन सेटअप करने लगे। ये एजेंट मशीन देने के बाद वापस लोगों के पास जाकर उनका अनुभव और मशीन ठीक करने जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराते थे। लेकिन इन सभी मार्केटिंग रणनीतियों के बावजूद सिंगर की कंपनी महिलाओं के ख़िलाफ़ सामाजिक राय की वजह से नुक़सान उठा रही थी।
 
सामाजिक कार्यकर्ता स्टेंटन इस सोच के ख़िलाफ़ लड़ रही थीं। ये समझने के लिए दो कार्टूनों पर नज़र डाली जा सकती है। एक कार्टून ये कहता है कि महिलाओं को सिलाई मशीन खरीदने की क्या ज़रूरत है जब वे इससे शादी कर सकती हैं।
 
वहीं, एक सेल्समेन कहता है कि सिलाई मशीन की वजह से महिलाओं को अपने बुद्धि-विवेक को बढ़ाने के लिए समय मिलेगा। कुछ लोगों के पूर्वाग्रहों ने इस तरह के शक़ को भी जन्म दिया कि क्या महिलाएं इतनी महंगी मशीनों को चलाने में सक्षम हैं? लेकिन सिंगर का पूरा बिज़नेस मॉडल इसी बात पर निर्भर था कि महिलाएं ये काम कर सकती हैं।
 
सिंगर ने अपने निजी जीवन में महिलाओं को चाहें जितना कम सम्मान दिया हो। लेकिन उन्होंने न्यूयॉर्क के ब्रॉडवे में एक दुकान किराए पर लेकर युवा महिलाओं को नौकरी पर रखा।
 
ये महिलाएं लोगों को मशीनें चलाकर दिखाती थीं। सिंगर अपने विज्ञापन में कहा करते थे - "ये मशीन निर्माता की ओर से सीधे परिवार की महिला को बेची गई है।"
 
इस विज्ञापन का आशय ये भी था कि महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करनी चाहिए। इसमें कहा गया कि कोई भी महिला इस मशीन की मदद से हर साल एक हज़ार डॉलर कमा सकती है।"
 
साल 1860 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक लेख में कहा कि किसी अन्य अविष्कार ने माँओं और बेटियों को इस मशीन से ज़्यादा राहत नहीं दी है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रतन टाटा ने कहा, मोदी-शाह के पास देश के लिए विजन है