इटली में जा कर रहना कई लोगों का सपना हो सकता है। अब इटली के द्वीप सिसिली की एक नगर परिषद विदेशियों की वहां बसने में मदद कर रही। और ये सब बेहद मामूली क़ीमत पर किया जा रहा है। इस ख़ास गांव में बसने की क़ीमत है एक यूरो यानी क़रीब 80 रुपए।
सिसिली के ग्रामीण इलाके के एक गांव संबूका के अधिकारियों ने 2019 में लगातार कम होती आबादी की समस्या से निपटने के लिए एक ख़ास योजना की घोषणा की। उन्होंने तय किया कि गांव में ख़ाली पड़े पुराने ख़स्ताहाल मकानों को मात्र एक यूरो यानि लगभग 80 रुपए में बेच दिया जाए।
यूरोप के कई छोटे कस्बों और गांवों की तरह संबूका में भी समय के साथ आबादी बहुत कम होती गयी है और फिलहाल इस गांव की आबादी मात्र 5,800 है क्योंकि यहां के स्थानीय लोग या तो नज़दीकी शहरों या फिर विदेशों में बसने चले गए हैं।
इसलिए संबूका की नगर परिषद ने पुराने ख़ाली पड़े मकान ख़रीद कर दुनिया भर के लोगों को यह मकान कम क़ीमत पर बेचने का फ़ैसला किया है ताकि नए लोगों को यहां बसने के लिए आकर्षित किया जा सके।
सुंदर घर बसाने के सपना
नतीजतन दुनिया के दूसरे इलाकों और समुदाय के लोगों को यहां आकर अपने सपनों का घर बसाने का अवसर मिला। संबूका के महापौर लियोनार्डो सिकासियो कहते हैं, 'पहले नगर परिषद ने क़ानूनी कार्यवाही पूरी करके यह मक़ान ख़रीदे। उसके बाद पहले 16 मकान नीलाम किए गए। यह सभी मकान विदेशियों ने ख़रीदे। यह योजना सफल हुई। दुनिया भर से कई कलाकारों ने इसमें रुचि दिखाई और संबूका आकर बसने लगे।'
संबूका के उप महापौर और आर्किटेक्ट ज्यूसेप कैसियोपो कहते हैं, 'जिन लोगों ने ये मकान ख़रीदे हैं उनमें कई संगीत और नृत्य कलाकार हैं, पत्रकार और लेखक हैं और यह अच्छी अभिरुचि वाले लोग हैं। वो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को सराह सकते हैं।'
संबूका की एक निवासी मारिसा मोंटलबानो कहती हैं, 'विश्व भर के लोगों ने हमारे गांव और हमारी संस्कृति में रुचि दिखाई। अब तक 60 मकान बेचे जा चुके हैं।'
यहां इतनी सस्ती क़ीमत पर मकान ख़रीदने की बस एक शर्त यह है कि नए ख़रीददार मकान की मरम्मत करवाने में पैसे लगाएं। मरम्मत करवाने में मकान के खरीदार के काफ़ी पैसे लग सकते हैं और उन्हें ये काम करवाने के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाता है।
एक यूरो के मकान
'एक यूरो' के मकान की इस योजना के चलते संबूका रातों रात दुनिया में मशहूर हो गया। योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 40 मकान बाज़ार की सामान्य क़ीमतों पर बिक चुके हैं।
संबूका में मकान ख़रीदने वालों में सिर्फ़ विदेशी ही नहीं बल्कि इटली के आप्रवासी भी शामिल हैं। इन्हीं में एक हैं ग्लोरिया ओरिजी जो पहले इटली के मिलान शहर में रहती थीं लेकिन फिर पेरिस जा कर बस गईं।
संबुका में मकान ख़रीदने के फ़ैसले के बारे में वो कहती हैं, 'मैं कई साल फ़्रांस में रही मगर हमेशा ही मेरी इच्छा थी कि इटली में मेरा एक घर हो। संबूका के बारे में मुझे सबसे ज़्यादा अच्छी लगी यहां की ख़ूबसूरती, यहां के लोगों की आत्मीयता जो और जगह कम देखने को मिलती है। यहां लोग खुले दिल के हैं और इसलिए मैने यहां मकान ख़रीदने का फ़ैसला किया।'
मारिसा मोंटलबानो भी संबूका की नई निवासी हैं। वो कहती हैं, 'मैं बचपन में अपने माता-पिता के साथ अमरीका चली गई थी। मैं 11 साल शिकागो में रही। उसके बाद जब संबूका लौटी तो शुरुआत मे यहां रहने में कुछ दिक्कते आईं। लेकिन फिर मैंने पाया कि यहां की सुंदरता और जीवनशैली सचमुच बेहतर है।'
इतालवी आप्रवासी
संबूका के महापौर लियोनार्डो सिकासियो इस बात से काफी ख़ुश हैं कि यहां के ख़ाली पड़े मकानों में अब फिर से जीवन फलफूल रहा है। वो कहते हैं, 'यह योजना काफ़ी सफल रही है।'
संबूका की इस योजना की सफलता से इटली के दूसरे ऐसे गांव भी प्रेरित हुए हैं जहां आबादी घटती जा रही है। वो भी इस प्रकार की योजना शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं।
मगर इस योजना की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्या विदेशियों के साथ-साथ इतालवी आप्रवासी भी इससे आकर्षित हो कर स्वदेश लौटने का मन बनाएँगे।