गुजरात से अमेरिका का डंकी रूट: डेढ़ करोड़ तक खर्च करने वाले यात्रियों ने क्या बताया

BBC Hindi
शनिवार, 30 दिसंबर 2023 (07:57 IST)
रॉक्सी गागडेकर छारा, बीबीसी संवाददाता
फ़्रांस से गुजरात वापस भेजे गए कुछ लोगों ने पुलिस को बताया है कि उनमें से कुछ ने 'डंकी रूट' के ज़रिए अमेरिका पहुंचने के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक ख़र्च किए थे।
 
इस मामले में गुजरात पुलिस बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाने के मामले की जांच भी कर रही है। इन लोगों ने इन दस्तावेज़ों का इस्तेमाल पासपोर्ट और वीज़ा हासिल करने के लिए किया है। पुलिस ने फ़्रांस से वापस गुजरात लौटे 21 लोगों की गहनता से जांच की है।
 
फ़्रांस ने मानव तस्करी के शक में दुबई से निकारागुआ जा रहे विमान को जांच के लिए रोक लिया था। इस विमान में चालक दल समेत तीन सौ से अधिक लोग सवार थे, जिनमें से अधिकतर को वापस भारत भेज दिया गया है।
 
गुजरात पुलिस को उम्मीद है कि जांच के दौरान गुजरात से डंकी रूट के ज़रिए मानव तस्करी करने वाले बड़े नेटवर्क की कड़ियां जुड़ सकती है और डंकी रूट के ज़रिए लोगों को विदेश भेजने वाले इस नेटवर्क के बारे में अधिक जानकारियां सामने आ सकती हैं।
 
हालांकि, अगर इनमें से किसी की भी संलिप्तता फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाने में सामने नहीं आती है तो गुजरात पुलिस इन 21 लोगों को मानव तस्करी के मामले की अपनी जांच में गवाह बनाने के बारे में विचार कर सकती है।
 
अभी तक गुजरात पुलिस ने इस संबंध में औपचारिक मामला दर्ज नहीं किया है और वह अभी भी फ़्रांस से दूसरी ट्रिप में भारत आने वाले और अधिक लोगों से पूछताछ का इंतज़ार कर रही है।
 
पहले बैच में जो यात्री फ़्रांस से पिछले सप्ताह मुंबई पहुंचे हैं उनमें से 21 लोग गुजरात के हैं और अपने राज्य पहुंच चुके हैं।
 
हालांकि 54 लोगों का दूसरा बैच भी जल्द ही मुंबई पहुंच सकता है। अभी तक गुजरात पुलिस को ये पता नहीं है कि दूसरे बैच में कुल कितने गुजराती हैं।
 
गुजरात पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बीबीसी से कहा, "जो 54 लोग आने वाले हैं हम उनके नाम और उपनाम और उनके पासपोर्ट नंबरों की जांच कर रहे हैं।"
 
अभी तक पुलिस को क्या मिला है?
यात्रियों को वीज़ा, टिकट और दुबई सहित अन्य जगहों पर सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले एजेंटों के संबंध में गुजरात वापस लौटे यात्रियों से पूछताछ की है। हालांकि पुलिस ने अभी तक इन लोगों के नामों की जानकारी नहीं दी है क्योंकि अभी ये मामला जांच के स्तर पर ही है।
 
पुलिस को विश्वास है कि उसे कुछ ऐसे नामों के बारे में ज़रूर पता चलेगा जो राज्य में फैले मानव तस्करों के इस नेटवर्क से जुड़े हुए होंगे।
 
डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (सीआईडी, क्राइम) संजन कारत इस समय फ़्रांस में हिरासत में लिए गए गुजरात के इन नागरिकों से जुड़ी इस जांच की अध्यक्षता कर रहे हैं।
 
बीबीसी से बात करते हुए कारत ने कहा, "हम निकारागुआ के ज़रिए अमेरिका पहुंचने के लिए डंकी रूट के बारे में हमेशा से जानते थे लेकिन अभी तक ऐसे किसी नेटवर्क का पर्दाफ़ाश नहीं हुआ था।"
 
कारत ने कहा, "हमारे पास पर्याप्त जानकारियां हैं जिनसे कड़ियां जुड़ सकती हैं और इससे हम गुजरात से डंकी रूट के ज़रिए लोगों को बाहर भेजने वाले उन नेटवर्कों तक पहुंच सकते हैं जो पहले से राज्य में काम कर रहे हैं।"
 
इन 21 लोगों से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि इनमें से कुछ ने अमेरिका पहुंचने के लिए 40 लाख रुपये से 1।5 करोड़ रुपये तक ख़र्च किए हैं। इन पैसों का लेनदेन कई अलग-अलग चरणों में हुआ है।
 
ये 21 लोग कौन हैं?
इनमें से अधिकतर लोगों का उपनाम चौधरी है और ये उत्तरी और मध्य गुजरात के रहने वाले हैं। कई गांधीनगर, मेहसाणा, आणंद और बनासकांठा ज़िलों से हैं।
 
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, "इनमें से अधिकतर अकेले ही बिना अपने परिवार के यात्रा कर रहे थे। हम उनके दस्तावेज़ों की जांच कर रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि कहीं कोई फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तो इस्तेमाल नहीं हुआ है।"
 
डंकी रूट और कितना पैसा
एजेंट लोगों को भारत से अमेरिका भेजने के लिए ग्वाटेमाला और कनाडा के ज़रिए अमेरिका में दाख़िल होने वाले डंकी रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि गुजरात के एजेंट मेक्सिको के ज़रिए अमेरिका में दाख़िल होने के रूट का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
इस बैच के लोगों के पास दुबई और निकारागुआ का वैध वीज़ा था। इसलिए पुलिस के लिए इन पर मानव तस्करी के मामले में मुक़दमा चलाना मुश्किल होगा।
 
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, "प्लान ये था कि ये लोग दुबई में ठहरते, यहां से निकारागुआ पहुंचते और फिर मेक्सिको के रास्ते होते हुए अमेरिका में दाख़िल होते।"
 
लोगों को प्रोफ़ाइल और एजेंट के दस्तावेज़ी कामकाज के आधार पर लोगों से पैसा लिया जा रहा था।
 
कारत ने बीबीसी को बताया, "एक व्यक्ति को अमेरिका भेजने के लिए 40 लाख रुपये से लेकर 1।5 करोड़ रुपये तक लिए जा रहे थे।"
 
गुजरात के लिए ये एक नया ट्रेंड है
फ़रवरी 2023 एक नांव के डूबने और उसमें गुजरात के चार लोगों की मौत की घटना सुर्ख़ियों में आई थी। प्रवीण चौधरी, उनकी पत्नी दक्षा चौधरी और दो बच्चों की इस घटना में दुखद मौत हो गई थी। ये लोग एक नाव के ज़रिए अमेरिका में दाख़िल होने की कोशिश कर रहे थे। इन लोगों ने अमेरिका पहुंचने के लिए हर व्यक्ति के लिए 60 लाख रुपये ख़र्च किए थे।
 
इन लोगों के साथ यात्रा कर रहे वर्षिल धोबी नाम के व्यक्ति गुजरात क्राइम ब्रांच को ये जानकारी दी थी। इसके बाद चौधरी परिवार की मौत की जांच शुरू हुई थी। पुलिस ने बाद में इस मामले में एक-दो एजेंटों और एक सब-एजेंट को गिरफ़्तार किया था। इनकी पहचान योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी के रूप में हुई थी। इन तीनों को ही पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था।
 
इससे पहले जनवरी 2023 में अमेरिका और कनाडा के बॉर्डर पर ठंड से जम जाने के कारण चार लोगों की मौत हुई थी। इनमें एक नवजात बच्चा भी शामिल था। गुजरात पुलिस ने इन मौतों की जांच की तो पता चला कि इन्हें अमेरिका भेजने में अहमदाबाद और मेहसाणा में सक्रिय एजेंट शामिल थे।
 
विसनगर के तत्कालीन डीएसपी दिनेश सिंह चौहान ने बीबीसी को बताया था कि इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, हालांकि अभी इन पर चार्जशीट दायर होना बाक़ी है।
 
समूचे गुजरात में पुलिस कार्रवाई
यात्रियों को फ़्रांस में रोके जाने की ख़बर आने से पहले ही गुजरात पुलिस ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह में वीज़ा दिलाने और सलाह देने वाली 17 एजेंसियों पर छापेमारी की थी। पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है और पासपोर्ट की कॉपियों समेत कई संदिग्ध दस्तावेज़ बरामद किए हैं।
 
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, आईजी सीआईडी (क्राइम) राजकुमार पादियान ने बताया था कि पुलिस को वीज़ा दिलाने वाली एजेंसियों के बारे में शिकायत मिली थी कि ये एजेंसियां फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर वीज़ा दिलाते हैं। इस जांच के दौरान ऐसी एजेंसियों से जुड़े कई एजेंटों को गिरफ़्तार किया गया है।

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