- जेसिका ब्राउन
पुरानी कहावत है- सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दोपहर का खाना राजकुमार की तरह और रात का भोजन भिखारी की तरह का होना चाहिए। मतलब ये कि सुबह का नाश्ता भरपूर होना चाहिए। इससे आप को दिन भर दिमाग़ी और शारीरिक मेहनत के लिए ऊर्जा मिल जाती है। नाश्ता न करना एशिया से लेकर अमेरिका तक सेहत के लिए बुरा माना जाता है। जबकि दुनिया में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं, जो सुबह का नाश्ता छोड़ देते हैं।
तीन चौथाई अमेरिकी ही नियमित रूप से सुबह का नाश्ता करते हैं। वहीं, केवल दो तिहाई ब्रिटिश नागरिक नियमित रूप से सुबह का नाश्ता करते हैं। ब्रेकफ़ास्ट यानी रात भर भूखे रहने के सिलसिले को ब्रेक करना। हमारा शरीर रात में बदन में संचित ऊर्जा का इस्तेमाल शरीर के विकास और पुनर्निर्माण में करता है।
ब्रितानी डायटीशियन सारा एल्डर कहती हैं, ''संतुलित नाश्ता करने से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। इससे हमें शरीर के विकास के लिए ज़रूरी प्रोटीन और कैल्शियम मिलते हैं।''
क्या सच में नाश्ता इतना ज़रूरी है?
पर, अब विशेषज्ञों के बीच इस बात पर गहरे मतभेद उभर रहे हैं कि नाश्ते को इतनी अहमियत दी जाए या नहीं। हाल के दिनों में भूखे रहने का चलन बढ़ा है। फिर सुबह के नाश्ते में खाए जाने वाले डिब्बाबंद सेरेल्स में बहुत चीनी होने को भी लोग सेहत के लिए नुक़सानदेह मानते हैं। एक रिसर्च ने तो सुबह के नाश्ते को ख़तरनाक तक करार दे दिया है।
तो, आख़िर सच क्या है? क्या दिन की शुरुआत करने के लिए नाश्ता ज़रूरी है? या फिर सुबह के नाश्ते के लिए सेरेल्स बेचने वाली कंपनियों की ये साज़िश है?
सुबह के नाश्ते को लेकर जो रिसर्च सबसे ज़्यादा होती है वो है इसके मोटापे से ताल्लुक़ की। वैज्ञानिकों की इस बारे में अलग-अलग थ्योरी हैं। अमेरिका में 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों पर हुई रिसर्च कहती है कि जो लोग सुबह भारी-भरकम नाश्ता करते हैं, उनका बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स संतुलित रहता है।
इनके मुक़ाबले रात में देर से खाना खाने वालों का बीएमआई ज़्यादा निकला। रिसर्चर कहते हैं कि नाश्ता करने से आप तसल्ली महसूस करते हैं। आपकी रोज़ाना की कैलोरी की खपत कम होती है। नाश्ते से हमारा खान-पान भी बेहतर होता है। सुबह के नाश्ते की चीज़ें अक्सर रेशे वाली और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इससे बाद के खानों को लेकर इंसुलिन की संवेदनशीलता भी बढ़ती है। ये डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
ब्रेक्फ़ास्ट और मोटापे का रिश्ता
लेकिन, इस रिसर्च से ये साफ नहीं हुआ कि ब्रेकफास्ट न करने की वजह से लोग मोटे हुए या उनकी ब्रेकफास्ट न करने की आदत और मोटापे का साथ होना महज़ इत्तेफ़ाक़ था। 52 मोटी महिलाओं पर इस बारे में अलग से रिसर्च हुई। ये सारी महिलाएं दिन भर में एक बराबर कैलोरी की चीज़ें लेती थीं। लेकिन, इनमें से आधी ही कैलोरी नाश्ते के रूप में लेती थीं।
नतीजे के तौर पर सामने ये आया कि ब्रेकफास्ट की वजह से लोगों के वज़न कम नहीं हुए। उनकी रोज़मर्रा की आदतों में बदलाव से मोटापा कम हुआ। कई महिलाओं के नाश्ता कम करने से भी वज़न नहीं घटा। अब अगर वज़न घटाने के लिए नाश्ता छोड़ने से काम नहीं चलेगा, तो मोटापे और ब्रेकफास्ट न लेने के बीच क्या रिश्ता है?
ब्रिटेन की एबरडीन यूनिवर्सिटी की एलेक्ज़ेंड्रा जॉन्सटन कहती हैं कि नाश्ते का परित्याग करने वाले अक्सर, इस खाने की अहमियत से नावाकिफ़ होते हैं। एलेक्जेंड्रा कहती हैं, ''नाश्ता करने वालों में आदत होती है कि वो सेहतमंद चीज़ें खाएं। इससे उनकी सेहत पर अच्छा असर पड़ता है। जैसे कि सुबह नियमित रूप से नाश्ता करने वाले धूम्रपान नहीं करते।''
2016 में नाश्ते और वज़न घटाने की मुहिम के बीच ताल्लुक़ को समझने के लिए हुए 10 तजुर्बों का जोड़ निकाल कर एक नतीजे पर पहुंचने की कोशिश हुई। इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि नाश्ता नियमित रूप से करने से वज़न कम होता है।
खाएं या व्रत रहें?
रात भर भूखे रहकर सुबह खाने का चलन काफ़ी बढ़ चला है। ख़ास तौर से अपना वज़न घटाने में जुटे लोगों के बीच। 2018 में एक स्टडी के मुताबिक़ कभी-कभार व्रत रहने से ख़ून में चीनी की मात्रा संतुलित रहती है। इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ती है। ब्लड प्रेशर भी इससे कम होता है।
तो, अगर नाश्ता न करना फ़ायदेमंद है, तो क्या नाश्ता करना नुक़सान करता है? कुछ रिसर्चर यही दावा करते हुए नाश्ते को ख़तरनाक बताते हैं। लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के खान-पान के विशेषज्ञ फ्रेडरिक कार्पे कहते हैं कि बात वो नहीं, जो लोग सोच रहे हैं। वो कहते हैं कि सुबह का नाश्ता तो स्किप करना ही नहीं चाहिए।
सुबह का नाश्ता हमारे शरीर के मीटर को चालू करने के लिए बहुत अहम है। फ्रेडरिक कहते हैं, ''हमारे शरीर की पेशियां खान-पान के प्रति अच्छा रिस्पॉन्स देती हैं। इसके लिए आप को कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट से शुरुआत करनी चाहिए। इंसुलिन जाए तो शरीर प्रतिक्रिया दे, इसके लिए ब्रेकफास्ट ज़रूरी है।''
नाश्ता न करने से हमारे शरीर की घड़ी यानी सिर्केडियन क्लॉक भी डिस्टर्ब हो जाती है। रात में देर से खाने पर शरीर में कॉर्टिसोल बढ़ जाता है। जो लोग ब्रेकफास्ट नहीं करते वो रात का खाना ढंग से खाते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो देर रात खाना खाते हैं। जो लोग रात में देर से खाना खाते हैं, उनके मोटे होने की आशंका बढ़ जाती है। वो दिल की बीमारियों औऱ डायबिटीज़ के भी शिकार हो सकते हैं।
तो, जानकारों का मानना है कि सुबह के नाश्ते से ज़्यादा अहम रात का खाना है। एलेक्ज़ेंड्रा कहती हैं, ''हमारे खून में चीनी की तादाद सुबह सबसे संतुलित होती है। जब हम देर रात खाना खाते हैं, तो उस वक्त शरीर में चीनी की तादाद बढ़ जाती है।' हालांकि वो ब्रेकफास्ट को छोड़कर डिनर पर ज़ोर देने के लिए और रिसर्च की ज़रूरत बताती हैं।''
एलेक्ज़ेंड्रा कहती हैं कि हमारी बॉडी क्लॉक असल में ऑर्केस्ट्रा की तरह है। एक मास्टर घड़ी है जो दिमाग़ में है। फिर दूसरी घड़ियां शरीर के हर अंग में हैं। इन पर बाहर की रोशनी दूसरी बातों का असर पड़ता है। खाते वक़्त आप को अच्छी रोशनी नहीं मिल रही है, तो इससे शरीर की घड़ी का संतुलत बिगड़ता है। तब शरीर के दो ऑर्केस्ट्रा एक-दूसरे से तालमेल कर के नहीं, बल्कि अपनी डफ़ली अपना राग करने लगते हैं।
अब किस वक़्त खाने का क्या फ़ायदा-नुक़सान होता है, इस पर ब्रिटेन की सरे और एबरडीन यूनिवर्सिटी में रिसर्च हो रही है। फिर इसका मोटापे और मोटापे को काबू करने से ताल्लुक तलाशा जाएगा।
नाश्ता है सेहत की खान
सुबह के नाश्ते का ताल्लुक़ सिर्फ़ शरीर के वज़न से नहीं। नाश्ता छोड़ने से दिल की बीमारियों के होने की आशंका 27 प्रतिशत बढ़ जाती है। डायबिटीज़ की आशंका 21 और 20 फ़ीसद आशंका दूसरी बीमारियों की हो जाती है। इसकी वजह शायद नाश्ते में छुपा सेहत का ख़ज़ाना है। जो लोग सेरेल्स यानी ओट्स वग़ैरह खाते हैं, उन्हें इनके ज़रिए विटामिन, आयरन और कैल्शियम मिलते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं।
ऐसी रिसर्च ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा और अमरीका में हो चुकी हैं। सुबह का नाश्ता करने से दिमाग़ बेहतर चलने की बात भी कही जाती है। इससे ध्यान लगाने और भाषा में महारत हासिल करने में भी मदद मिलती है। इससे याददाश्त बेहतर होने की बात भी एक रिसर्च में पता चली है।
देखना ये होगा कि हम नाश्ते में क्या खाते हैं। जो लोग ज़्यादा प्रोटीन और कैल्शियम वाला नाश्ता करते हैं। उन्हें इसका ज़्यादा फ़ायदा मिलता है। हलवा और पूरी-कचौरी वाले नाश्ते से तो हमें उतना पोषण मिलने से रहा।
सुबह के नाश्ते में डिब्बाबंद चीज़ें न ही लें तो अच्छा। इनमें चीनी अलग से मिलाई गई होती है। इज़राइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि सुबह की भूख पर काबू पाना आसान होता है। वैसे 54 रिसर्च का निचोड़ निकाल कर भी जानकार इस नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं कि किस तरह का नाश्ता सेहत के लिए सब से अच्छा होता है।
तो फिर नाश्ते का क्या करें?
जानकारों का मानना है कि भले ही ये पता न हो कि नाश्ते में क्या खाया जाए, पर ये ज़रूर पता है कि खाया तभी जाए, जब भूख महसूस हो। जिन्हें सुबह भूख लग जाती है, वो नाश्ता ज़रूर करें। जो रात के वक़्त भूख लगना महसूस करते हैं, वो डिनर अच्छे से करें।
हर शरीर की अपनी ख़ासियत होती है। उसके हिसाब से ही फ़ैसला करना ठीक होगा। किसी एक खाने पर पूरी तरह से निर्भरता ठीक नहीं। चाहे वो डिनर हो या ब्रेकफास्ट। संतुलित ब्रेकफास्ट और संतुलित डिनर की सलाह तो सभी जानकार देते हैं।