मनीष सिसोदिया पर कसता शिकंजा, केजरीवाल के लिए कितनी बड़ी चिंता
, शनिवार, 20 अगस्त 2022 (07:47 IST)
दीपक मंडल
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के संबंध अब एक अच्छे बॉस और एक अच्छे मातहत के तौर पर तब्दील हो गए हैं। सिसोदिया ने सबसे पहले यह समझ लिया था कि पार्टी में काम करने का सबसे सही तरीका क्या है?
ये किसी ऐसे व्यक्ति का समर्पण नहीं है, जिसकी कोई बहुत बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। ये अपने नेता के प्रति एक अनुयायी का समर्पण है। मनीष सिसोदिया के बारे में ये राय दिल्ली के तिमारपुर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे पंकज पुष्कर की है।
मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ सीबीआई छापे और केजरीवाल का बचाव
सीबीआई ने शुक्रवार को जब दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापे मारे तो केजरीवाल ने उनका जम कर बचाव किया।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा कि 'दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल की पूरी दुनिया चर्चा कर रही है। इसे ये रोकना चाहते हैं। इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रियों पर रेड और गिरफ़्तारी की कार्रवाई हो रही है।'
केजरीवाल ने न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पन्ने को शेयर किया जिसमें दिल्ली सरकार के स्कूलों में सुधार का श्रेय सिसोदिया को दिया गया है।
22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली सरकार की 2021 की एक्साइज़ पॉलिसी की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे।
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक़, इस पॉलिसी के तहत कोरोना महामारी की वजह से शराब बिज़नेस को हुए घाटे का हवाला देकर लाइसेंस फ़ीस ख़त्म कर दी गई थी।
इससे दिल्ली सरकार को 140 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। ये भी कहा गया कि लाइसेंस देने के लिए रिश्वत ली गई और आम आदमी पार्टी ने इस पैसे का इस्तेमाल पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए किया।
सीबीआई जांच के बीच सिसोदिया ने 1 अगस्त 2022 से 2021 की पॉलिसी बदलने का एलान कर दिया और कहा कि अब शराब सिर्फ़ सरकारी दुकानों में ही बिकेगी। 2021 में शराब की सभी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गई थीं।
2021 में नई शराब नीति लाने के वक्त केजरीवाल सरकार ने कहा था कि इससे उसका रेवेन्यू 3500 करोड़ रुपये तक बढ़ेगा। लेकिन चीफ़ सेक्रेट्री की रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा नहीं हुआ। दिल्ली सरकार को रेवेन्यू का घाटा हुआ है।
एफआईआर में सिसोदिया समेत 15 के ख़िलाफ़ आरोप
इस रिपोर्ट के आधार पर उप राज्यपाल ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इसके बाद ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ ईडी की कार्रवाई के बाद अब सीबीआई सिसोदिया के घर का दरवाज़ा खटखटाएगी। शुक्रवार को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर पर छापे मारे।
शुक्रवार को दिन भर सिसोदिया के घर में छापे की कार्रवाई के बाद सीबीआई ने शाम तक उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर कर दी। इसमें उनका नाम शराब नीति में भ्रष्टाचार से जोड़ा गया है।
एफ़आईआर में सिसोदिया समेत 15 अभियुक्तों के नाम दर्ज हैं। इनमें तत्कालीन एक्साइज़ कमिश्नर समेत तीन अफ़सर भी शामिल हैं। इन लोगों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचने और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं।
पार्टी में नंबर दो की हैसियत बरकरार
केजरीवाल और सिसोदिया की दोस्ती काफ़ी पुरानी है। इस बीच, पार्टी में हर क्षेत्र से कई लोग आए और आम आदमी पार्टी की नीतियों से मतभेद की वजह से अलग भी हो गए।
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार आशुतोष और समाजवादी पृष्ठभूमि के राजनीतिक विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव जैसे बड़े नाम जुड़े और फिर इससे निकल भी आए।
लेकिन मनीष सिसोदिया शुरू से ही पार्टी में नंबर दो की हैसियत में थे और आज भी पार्टी में उन्हें कोई री-प्लेस नहीं कर पाया है।
केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का साथ 2006-07 से ही है, जब उन दोनों के भीतर राजनीति में उतरने का कोई रुझान नहीं दिखता था। दोनों दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए काम कर रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी बताते हैं, ''केजरीवाल और सिसोदिया दोनों अक्सर मेरे पास आते थे। तब मैं दिल्ली के एक बड़े अख़बार के संपादक के तौर पर काम कर रहा था और उनकी मदद करने की स्थिति में था। दोनों सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे थे। लेकिन 2011-12 के दौरान जब आम आदमी पार्टी के गठन की तैयारियां चल रही थीं तो सिसोदिया केजरीवाल के सबसे क़रीबी बन कर काम कर रहे थे।''
स्कूली शिक्षा में सुधार के पोस्टरब्वॉय
एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार से दिल्ली के डिप्टी सीएम पद तक का सिसोदिया का सफ़र काफी दिलचस्प रहा है।
1998 में अरविंद केजरीवाल ने सामाजिक काम करने के लिए परिवर्तन नाम से एक एनजीओ बनाया था। उस समय मनीष सिसोदिया टीवी पत्रकार के तौर पर काम करते थे। उन्होंने इस एनजीओ पर एक स्टोरी की।
स्टोरी करने के दूसरे दिन अरविंद मनीष से मिले। दोनों के बीच काफ़ी बातचीत हुई। इसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हो गई। फिर एक वक्त आया जब मनीष सिसोदिया नौकरी छोड़ कर पूरी तरह अरविंद केजरीवाल के साथ मिल कर काम करने लगे।
दरअसल सिसोदिया का रुझान राजनीतिक रणनीति बनाने से ज्यादा सामाजिक क्षेत्र में रहा है। इसलिए दिल्ली का डिप्टी सीएम बनने के बाद उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर करने की योजना बनाई। केजरीवाल सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार को शो-केस करती है। इस सुधार का बड़ा श्रेय सिसोदिया को दिया जाता है।
सिसोदिया को देश में स्कूली शिक्षा में सुधार के पोस्टरब्वॉय के तौर पर देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों के कामकाज और पढ़ाई-लिखाई के स्तर में जो ज़बर्दस्त सुधार दिखा है, वो देश के दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन चुका है। देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री इसकी तारीफ़ कर चुके हैं और अपने-अपने राज्यों में वो इसे लागू करना चाहते हैं।
विदेश में तारीफ़ लेकिन देश में घिरे
विदेशी अख़बारों में भले ही स्कूली शिक्षा में सुधार के इस पोस्टरब्वॉय की तारीफ़ हो रही है। लेकिन घर में वह घिरते दिख रहे हैं।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार उसकी बढ़ती ताक़त से घबराई हुई है, इसलिए उन मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है, जिनके काम की तारीफ़ पूरी दुनिया में हो रही है।
प्रमोद जोशी कहते हैं, ''मनीष सिसोदिया ने भ्रष्टाचार किया है या नहीं ये मैं नहीं कह सकता। लेकिन ये आरोप राजनीतिक हो सकते हैं। क्योंकि इस वक्त बीजेपी आम आदमी पार्टी को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देख रही है। गुजरात में आम आदमी बीजेपी को अच्छा टक्कर दे सकती है। हिमाचल और हरियाणा में भी इसका असर है। पंजाब ये जीत ही चुकी है''।
अरविंद केजरीवाल का सिसोदिया से तालमेल शुरू से काफ़ी अच्छा रहा है। आज भी शिक्षा समेत आधा दर्जन से अधिक मंत्रालय सिसोदिया के पास हैं।
कहा जाता है कि मनीष सिसोदिया की सलाह पर केजरीवाल सारे नीतिगत फ़ैसले लेते हैं। दिल्ली में स्कूली शिक्षा में सुधार के श्रेय पर मनीष सिसोदिया कहते हैं कि 'वह क्लासरूम को एक आंदोलन में बदलना चाहते हैं।'
केजरीवाल और सिसोदिया का साथ
मनीष सिसोदिया ने अपना भी एक एनजीओ बनाया था 'कबीर' नाम से। लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल के एनजीओ 'परिवर्तन' से जुड़ कर काम करने लगे।
अरुणा राय ने जब सूचना के अधिकार का मसौदा तैयार करने के लिए नौ लोगों की कमेटी बनाई थी तो उसमें मनीष सिसोदिया भी एक सदस्य के तौर पर शामिल थे।
सूचना के अधिकार के लिए एक कार्यकर्ता के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने भी काम किया था। 2011 में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके कुछ साथियों ने मिल कर जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिल कर आंदोलन किया। फिर दोनों राजनीति में आए।
प्रमोद जोशी कहते हैं, ''मनीष सिसोदिया मुझे काफ़ी संजीदा लगे। जिन दिनों वो मेरे पास आते थे उन दिनों वो काफ़ी अच्छा काम कर रहे थे। सिसोदिया मुझे काफ़ी संतुलित भी लगे। वह ख़ुद को कभी आगे नहीं रखते थे। हमेशा पृष्ठभूमि में ही रह कर काम करते रहे।''
आम आदमी पार्टी और केंद्र के बीच टकराव क्यों?
2012 में राजनीति में उतरी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 2013 में सरकार बनाई। दिल्ली में फ़िलहाल आम आदमी पार्टी की तीसरी सरकार है। इस साल पार्टी ने पंजाब में भी अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। कहा जा रहा है गुजरात और हिमाचल में भी इस बार ये बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव इसी प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है।
जब भी केंद्र की एनडीए सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बीच टकराव हुए हैं तो मनीष सिसोदिया ने मोर्चा संभाला है। चाहे वह कोरोना के वक्त कथित तौर पर दिल्ली की अनदेखी हो या बिजली का मामला या फिर दिल्ली नगर निगम के चुनाव का मुद्दा। केजरीवाल सरकार की ओर से मनीष सिसोदिया जवाब देते नजर आए हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पटपड़गंज सीट से जीतते रहे हैं। 2020 में वह यहां से तीसरी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं।
प्रमोद जोशी का कहना है, ''केजरीवाल सरकार के एक मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में है और अब सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को निशाना बनाया है। अगर मनीष जेल जाते हैं तो केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इससे हिमाचल और गुजरात में आम आदमी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। दोनों अहम राज्यों में उन्हें मनीष सिसोदिया कमी बेहद शिद्दत से महसूस होगी।''