कोरोना जैसे ख़तरे को क्या ये 3000 जैविक प्रयोगशालाएं और बढ़ा रही हैं?

BBC Hindi
बुधवार, 2 जून 2021 (08:54 IST)
जॉन सिम्पसन (वर्ल्ड अफेयर एडिटर)
 
पिछले लगभग डेढ़ साल में ही हमने यह देख लिया कि एक बेकाबू वायरस भारी आबादी से लदी और बेहतरीन तरीके से जुड़ी इस दुनिया में क्या तबाही मचा सकती है। इस दौरान इस वायरस से 16।60 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमण से मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 34 लाख का है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि मौतों का वास्तविक आंकड़ा 80 लाख या शायद इससे भी ज़्यादा होगा।
 
अमेरिका ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह वायरस के स्रोत का फिर से पता करने जा रहा है। चीन के वुहान की एक प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने का मामला भी जांच के दायरे में होगा। डब्ल्यूएचओ पहले इस आशंका को ख़ारिज कर चुका था। उसका कहना था कि यह थ्योरी निहायत ही नामुमकिन है। हालांकि हमें पता है कि इस तरह के रोगाणु कितने घातक हो सकते हैं।
 
जैविक प्रयोगशालाओं पर कड़े नियंत्रण की ज़रूरत
 
अब जैविक युद्ध के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने बड़े औद्योगिक देशों के समूह जी-7 के नेताओं से इस तरह की प्रयोगशालाओं पर कड़ाई करने की अपील की। उनका कहना है हल्के नियमन वाली ये प्रयोगशालाएं चरमपंथियों का मक़सद पूरा करने का रास्ता हैं।
 
कर्नल हमीश डी ब्रेटन-गॉर्डन पहले सेना में थे और अब एकेडेमिक के तौर पर काम करते हैं। पहले उनके पास ब्रिटेन की रासायनिक, जैविक और परमाणु रेजिमेंट की संयुक्त कमान थी। उन्होंने इराक और सीरिया में पहली बार रासायनिक और जैविक युद्ध के असर का अध्ययन किया था।
 
वह कहते हैं, 'बदकिस्मती से मैंने अपनी ज़िंदगी का काफ़ी वक़्त उन जगहों पर बिताया है, जहां की दुष्ट सरकारें दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहती थीं। मेरा मानना है कि ये प्रयोगशालाएं चरमपंथियों और लोगों को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखने वालों के लिए एक ख़ुला मक़सद हैं। अब यह हमारे ऊपर है कि हम इन प्रयोगशालाओं तक उनकी पहुंच को ज़्यादा से ज़्यादा मुश्किल बनाएं।
 
कई केंद्र ऐसे हैं, जिनमें इस तरह के ख़तरनाक वायरस बनाए जाते हैं और उन पर अध्ययन होता है। लेकिन दिक्कत यह है कि इन पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण परेशान कर देने की हद तक कमज़ोर हैं।
 
अलग-अलग तरह के रोगाणुओं पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं और अध्ययन केंद्रों की उनके जैविक ख़तरे के हिसाब ग्रेडिंग होती है। यह ग्रेडिंग एक से चार तक होती है। चार सबसे ऊंची ग्रेडिंग है। इस वक्त दुनिया भर में ऐसी 50 या इससे ज़्यादा प्रयोगशालाएं हैं, जो कैटेगरी चार में आती हैं। इनमें से एक है सलिसबरी के निकट का पोर्टन डाउन। यह प्रयोगशाला ब्रिटेन के जैविक और रासायनिक प्रयोग के सबसे बड़े गुप्त केंद्रों में से एक है।
 
जैवसुरक्षा (बायोसेफ्टी) कि लिहाज से पोर्टन डाउन को गोल्ड स्टैंडर्ड का माना जाता है। हालांकि कैटेगरी चार की प्रयोगशालाओं के नियमन का तौर-तरीक़ा काफ़ी कड़ा होता है। लेकिन कुछ कम नियंत्रण वाले कैटेगरी तीन की प्रयोगशालाएं काफी आम हैं। कर्नल डी ब्रेटन-गॉर्डन कहते हैं कि दुनिया भर में कैटेगरी तीन की तीन हज़ार से ज़्यादा प्रयोगशालाएं हैं।
 
इनमें से ज़्यादातर प्रयोगशालाएं मेडिकल रिसर्च करती हैं। लेकिन अक्सर इनमें कोविड-19 जैसे वायरस की होल्डिंग और टेस्टिंग भी होती है। इस तरह की प्रयोगशालाएं ईरान, सीरिया और उत्तर कोरिया जैसे देशों में भी हैं। लिहाजा दुनिया भर में इनके शासकों के मक़सद को लेकर चिंता बनी रहती है।
 
रासायनिक हथियारों से जुड़े रिसर्च पर ज़्यादा काबू
 
जैविक हथियारों की तुलना में रासायनिक हथियारों पर हो रहे रिसर्च पर नियमन की स्थिति ज़्यादा अच्छी है। दरअसल, रासायनिक हथियार समझौते के तहत 1997 में ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर द प्रोबिहिशन ऑफ़ केमिकल वेपन्स (OPCW) का गठन किया गया था। दुनियाभर के 193 देश इसके सदस्य हैं। संगठन के पास इसका अधिकार है कि यह मौके पर जाकर इस बात की जांच कर सके कि कहीं वहां रासायनिक हथियार बनाने के लिए आरएंडडी तो नहीं हो रहा है।
 
सीरिया में ऐसा हो चुका है। वहां ऐसे हमलों की आशंकाओं को लेकर जांच हुई थी। हालांकि रासायनिक हथियारों के बनाने और इनके इस्तेमाल को बंद नहीं किया जा सका है लेकिन ओपीसीडब्ल्यू काफ़ी सक्रिय और प्रभावी है। जबकि, जैविक रिसर्च और इससे हथियार बनाने की रिसर्च पर इतनी कड़ाई से निगरानी की व्यवस्था नहीं है।
 
जैविक और जहरीले हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाला द बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (बीडब्ल्यूसी) 1975 में लागू हुआ था। लेकिन कुछ ही देश इसके सदस्य हैं। इसके साथ ही इस पर कभी सहमति नहीं बन पाई कि जैविक हथियार बनाए जाने की आशंका पर जांच की सही व्यवस्था क्या हो। ऐसी व्यवस्था, जिसकी शर्तों का सभी सदस्य देश पालन करें।
 
जी-7 देशों से मौजूदा ख़तरे से जूझने की उम्मीद
 
कर्नल डी ब्रेटन-गॉर्डन को उम्मीद है कि दुनिया भर के जैविक केंद्रों से उभरते जोखिम जून में हो रहे G-7 देशों के नेताओं के सम्मेलन के एजेंडे में होंगे। गॉर्डन ब्रिटिश सरकार के मंत्रियों से इस बात की लॉबिइंग भी कर रहे हैं कि वे जैविक प्रयोगशालाओं पर नियंत्रण के लिए कड़े नियम बनाने का मसला उठाएं। इसमें गॉर्डन का साथ देने वालों में सीआईए के पूर्व प्रमुख जनरल डेविड पीट्रियस शामिल हैं।
 
जनरल पीट्रियस कहते हैं, 'मुझे लगता है कि वास्तव में कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति इस सुझाव का समर्थन करना चाहेगा। दुनिया के नेताओं को इसे आगे बढ़ाना चाहिए। हां, उत्तर कोरिया जैसे कुछ देश अपनी वजहों से इस तरह के क़दम का विरोध कर सकते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि ज़्यादातर देश इस तरह के सुझाव का समर्थन करेंगे।'
 
जनरल पीट्रियस 2007-08 से इराक़ में अमेरिका की अगुआई वाली गठबंधन सेना के कमांडर थे। माना गया था कि इराक़ पर जब सद्दाम हुसैन का शासन था, तब वहां रासायनिक और जैविक हथियार विकसित किए गए थे। हालांकि 2003 में जब इराक़ पर अमेरिका की अगुआई में हमला हुआ तो वहां कोई रासायनिक या जैविक हथियार नहीं मिला था।
 
जब पिट्रियस सीआईए के चीफ़ थे, तब भी उन्हें इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं दुष्ट देशों के हाथों में जैविक हथियारों का नियंत्रण न आ जाए। यह एक बहुत बड़े ख़तरे को जन्म दे सकता था।
 
दशकों से तमाम देश पहले परमाणु हथियारों और फिर बाद में रासायनिक हथियारों और उन्हें बनाने के लिए किए जाने वाले रिसर्च पर ज़्यादा नियंत्रण के लिए ज़ोर लगाते रहे हैं। इन हथियारों से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई है। रासायनिक हथियारों ने 1988 में हज़ारों कुर्दों को मार डाला था।
 
अब तक 80 लाख अनुमानित मौतों का ज़िम्मेदार कोविड वायरस भी संभवत: दुनिया की उन तीन हज़ार या उससे ज़्यादा प्रयोगशालाओं में से किसी एक से निकला होगा जिनका ठीक से नियंत्रण नहीं हो रहा है। साफ़ है कि इन अनियंत्रित प्रयोगशालाओं ने जैविक ख़तरे को और बढ़ा दिया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या दिल्ली में समय से पूर्व हो सकते हैं विधानसभा चुनाव, केजरीवाल की मांग के बाद क्या बोले विशेषज्ञ

महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना मेरी कभी ख्वाहिश नहीं रही : उद्धव ठाकरे

अनिल विज ने बढ़ाई BJP की मुश्किलें, खुद को बताया CM पद का दावेदार, कहा- मैं सबसे सीनियर नेता

Caste Census : जाति जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट, सरकार करने वाली है यह काम

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, कौन हैं झारखंड के लिए बड़ा खतरा...

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

iPhone 16 सीरीज लॉन्च होते ही सस्ते हुए iPhone 15 , जानिए नया आईफोन कितना अपग्रेड, कितनी है कीमत

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

iPhone 16 के लॉन्च से पहले हुआ बड़ा खुलासा, Apple के दीवाने भी हैरान

Samsung Galaxy A06 : 10000 से कम कीमत में आया 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाला सैमसंग का धांसू फोन

iPhone 16 Launch : Camera से लेकर Battery तक, वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

अगला लेख
More