माता-पिता अपने बच्चों को अपनी सुविधाओं में कमी करके भी अच्छा पढ़ाना चाहते हैं, अच्छा इलाज कराना चाहते हैं और उनके लिए कुछ बेहतर करना चाहते हैं। इनके प्रति उदार बनें। उनके इलाज में, शिक्षा में, मनोरंजन और अन्य सुविधाओं को 'टैक्स फ्री फिल्मों' की भाँति सुविधा दी जाए। सेवा शुल्क यदि सरकार स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों से लेती है तो ये छात्रों से वसूल ली जाती है।इनमें रियायत मिले तो एक काफी बड़ा वर्ग इससे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होगा। भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा इन बच्चों के रूप
में है जिन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाओं में विशेष छूट सरकारी से लेकर निजी और सभी बड़े अस्पतालों में समान रूप से दी जाए।
बच्चे देश का भविष्य हैं। इनके पौधे रूपी जड़ों में यदि आपने सही ढंग से खाद-पानी डालकर इन्हें सींचा तो समृद्धि का वृक्ष बनकर परिवार और देश का नाम रोशन करेंगे। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे गरीब की बेटी का विवाह और गरीब कन्याओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं जैसा लाभ देश के सभी बच्चों को मिले। क्योंकि बचपन को इन सब तनावों से मुक्त रखने की जिम्मेदारी परिवार, शिक्षक, समाज अपने ऊपर लें क्योंकि इन बच्चों को तो आगे जाकर काफी कुछ सहन करना है। अनेक परिस्थितियों से जूझना है।