प्रति वर्ष, आयुष मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस धन्वंतरि जयंती यानी धनतेरस के दिन मनाया जाता है। स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दवाओं को हमेशा बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह चिकित्सा प्राकृतिक होती है और समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम होती हैं, वह भी बगैर किसी साइड इफेक्ट के। ज्ञात हो कि सन् 2016 से हर साल धन्वंतरि जयंती के दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। वर्ष 2020 में यह दिवस 13 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा।
भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं। आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत तथा विविध पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है।
यहां जानिए सेहत की कुछ समस्याओं के लिए 11 आयुर्वेदिक उपचार -
1 कफ के साथ खांसी होने पर- कफकेयर शर्बत वासा, वासावलेह, वासारिष्ट खदिरादि वटी, मरिचादि वटी, लवंगादि वटी, त्रिकुट चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, एलादि वटी, कालीसादि चूर्ण, कफकेतु रस, अभ्रक भस्म, श्रृंगारभ्र रस, बबूलारिष्ट लाभप्रद है।
2 अत्यधिक बुखार या मलेरिया की स्थिति में- सुदर्शन चूर्ण, महासुदर्शन काढ़ा, अमृतारिष्ट, ज्वरांकुश रस, सत्व गिलोय, विषम ज्वरांतक लौह दवाओं का सेवन बेहद प्रभावकारी है।
3 एन्फ्लूएंजा या वातजनित बुखार होने पर- त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, पीपल 64 प्रहरी और अमृतारिष्ट का सेचन कर सकते हैं। इससे आप बुखार को जड़ से मिटा सकते हैं।
4 टीबी या क्षय रोग होने की स्थिति में- स्वर्ण वसंत मालती, लक्ष्मी विलास रस, मृगांक रस, वृहत् श्रृंगारभ्र रस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस का सेवन लाभदायक होता है।
5 अस्थमा या श्वास रोग में- कफकेयर, च्यवनप्राश अवलेह, सितोपलादि चूर्ण, श्वासकास, चिंतामणि कनकासव, शर्बत वासा, वासारिष्ट, वासावलेह, मयूर चन्द्रिका भस्म, अभ्रक भस्म तेल आदि दवाओं का सेवन फायदेमंद होगा।
6 सिरदर्द, बेचैनी और प्यास- यदि आप गर्मी के कारण मन और मस्तिष्क की समस्याओं को महसूस करते हैं, साथ ही अत्यधिक सिरदर्द, बेचैनी और प्यास लगने जैसी समस्याएं होती हैं तो दिल व दिमाग को शांति देकर स्फूर्ति प्रदान करने के लिए आयुर्वेद की यह दवाएं आपके लिए फायदेमंद है - गुलकंद प्रवालयुक्त, मोती पिष्टी, खमीरा संदल, शर्बत संदल, शर्बत अनार... इनका सेवन आप प्रत्येक मौसम में कर सकते हैं।
7 एग्जिमा यानि छाजन होने पर- चर्म रोगांतक मरहम, गुडुच्यादि तेल, रस माणिक्य, महामरिचादि तेल गंधक रसायन, त्रिफला चूर्ण, पुभष्पांजन, रक्त शोध, खदिरादिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा आदि का सेवन किया जा सकता है।
8 त्वचा रोग या रक्त विकार होने पर- रक्त शोधक, खदिराष्टि, महामंजिष्ठादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, महामरिचादि तेल, रोगन नीम, गंधक रसायन, केशर गूगल, आरोग्यवर्द्धनी, जात्यादि तेल, चर्मरोगांतक मरहम, पुष्पांजन का सेवन करना फासदेमंद होगा।
9 बालों के रोगों में- महाभृंगराज तेल, हस्तिदंतमसी, च्यवनप्राश अवलेह, भृंगराजसव बाल गिरने और सफेद बालों की समस्या को कम करने में फायदेमंद है।
10 फेफड़ों में पानी भर जाने पर- नारदीय लक्ष्मी विलास रस, स्वर्ण वसंत मालती, मृगश्रृंग भस्म, रस सिंदूर एवं हिचकी आने की समस्या में हिक्का सूतशेखर स्वर्णयुक्त, मयूर चन्द्रिका भस्म, एलादि वटी, एलादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
11 कुष्ठ रोग या सफेद दाग होने पर- सोगन बावची, खदिरादिष्ट, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, रस माणिक्य, गंधक रसायन, चालमोगरा तेल, महामंजिष्ठादि क्वाथ फायदेमंद है।