नई दिल्ली। बुधवार से शुरू हुए ऑटो एक्सपो 2023 में मारुति सुजुकी ने अपने टॉप सेलिंग मॉडल WagonR के Flex Fuel प्रोटोटाइप को पेश किया। इससे पहले कंपपनी ने इस मॉडल को SIAM इथेनॉल टेक्नॉलजी एग्जीबिशन में दिसंबर 2022 में दिखाया था। कंपनी के मुताबिक सुजुकी की यह कार इथेनॉल और पेट्रोल के मिश्रण से चल सकती है।
इस मॉडल को लेकर मारुति का कहना है कि WagonR flex fuel को सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन की मदद से डिजाइन और डेवलप किया गया है। कंपनी के मुताबिक इथेनॉल और पेट्रोल के मिक्सचर से चलने वाले इस मॉडल का पावर और परफॉरमेंस रेगुलर पेट्रोल वर्जन जैसा ही होगा। कंपनी के मुताबिक इसका पहला फ्लेक्स फ्यूल मॉडल कॉम्पैक्ट सेगमेंट में आएगा और इसे 2025 तक लॉन्च किया जाएगा।
क्या हैं इस मॉडल की खूबियां-
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1.2L नेचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन
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E20 से E85 की फ्लेक्स फ्यूल रेंज पर रन कर सकती है
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गैसोलीन यूनिट 88.5 bhp की पावर और 113 Nm टॉर्क जेनरेट करती है
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जंग से बचने के लिए पेट्रोल इंजन में कुछ बदलाव
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नई फ्यूल सिस्टम टेक्नोलॉजी
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इथेनॉल परसेंटेज डिटेक्शन के लिए इथेनॉल सेंसर और कोल्ड स्टार्ट असिस्ट के लिए हीटिड फ्यूल रेल
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इसका पॉवरट्रेन भी BS6 Phase II एमिशन स्टैंडर्ड्स के सभी मानकों पर खरा बैठता है
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प्रोटोटाइप 5-स्पीड मैन्युअल गियरबॉक्स के साथ आता है।
बैटरी उत्पादन में 100 अरब का निवेश : एक्सपो में वाहन का अनावरण करते हुए सुजुकी मोटर के प्रतिनिधि निदेशक एवं अध्यक्ष तोशिहिरो सुजुकी ने कहा कि हमारे व्यवसाय से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए हम वैश्विक स्तर पर कई कदम उठा रहे हैं। इसमें से एक अहम कदम है हमारे उत्पादों के जरिए उत्सर्जन को कम करना। हमने पिछले वर्ष मार्च में एक घोषणा की थी जिसके मुताबिक यहां भारत में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) और उनकी बैटरियों के उत्पादन में हम 100 अरब रुपए का निवेश करेंगे।
मारुति सुजुकी वैगन आर फ्लैक्स फ्यूल प्रोटोटाइप, ब्रेजा एस-सीएनजी और ग्रैंड विटारा इंटेलिजेंट इलेक्ट्रिक हाइब्रिड जैसे पर्यावरण के अनुकूल कई उत्पादों की यहां पेशकश कर रही हैं।
2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन : मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी हिसाशी ताकेउची ने इस अवसर पर कहा कि हाइब्रिड, सीएनजी, बायो-सीएनजी, एथेनॉल और इलेक्ट्रिक जैसी सभी प्रौद्योगिकियों पर गौर करने में हम विश्वास रखते हैं ताकि 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन और तेल आयात के खर्च को कम करने के भारत सरकार के लक्ष्यों का समर्थन कर सकें।