कई बार देखा गया है कि कोई अत्यंत बीमार हो गया है लेकिन सभी चिकित्सीय परिक्षण किसी बीमारी का कोई लक्षण नहीं बताते तो हो सकता हो कि जातक प्रेत बाधा से पीड़ित हो।
किसी भी प्रेत बाधा से मुक्त होने लिए लगातार 21 दिन तक प्रतिदिन सूर्यास्त के समय गाय का आधा किलो दूध लें तथा उसमें नौ बूंद शुद्ध शहद और 10 बूंद गंगाजल डालें। शहद और गंगाजल मिश्रित दूध को शुद्ध बर्तन में रखकर शुद्ध वस्त्र पहनकर हर-हर गंगे बोलते हुए घर में छिड़काव करें।
छिड़काव करने के बाद मुख्य दरवाजे पर आकर शेष बचे हुए दूध को धार बांधकर वहीं पर गिरा दें और बोलें- संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमत बलवीरा।। यह क्रिया 21 दिन तक करते रहें।
इसी तरह हनुमान चालीसा व बजरंग बाण का प्रतिदिन घर में पाठ करने से भूत प्रेत बाधा नष्ट हो जाती है।
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अत्यंत बीमार होने पर मृत्यु की आशंका से बचने हेतु - 600 ग्राम जौ का आटा 100 ग्राम काले तिल, सरसों के तेल में गूंथकर एक मोटा रोट बना लें तथा एक ही तरफ उसकी सिकाई करें। ध्यान रहे रोट को उलट-पलट न करें।
सिक जाने पर उसको उतार कर तेल से रोट को चुपड़ कर उस पर गुड़ की डली रखकर पूरे शरीर पर उतारा करें।
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इस मंत्र ‘ॐ सर्व रोगहराय नमः’ का 11 शनिवार या मंगल के दिन उतारा करके काले भैंसे को खिला दें। 3, 5 या 7 मंगल से शनिवार तक करें, रोगी को लाभ हो जाएगा।
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लंबी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ के लिए गुड़ के गुलगुले सवा किलो सरसों के तेल में पकाकर शनिवार व रविवार को रोगी के शरीर के ऊपर से उतारा करके उक्त मंत्र ‘ॐ रक्षो विध्वंशकारकाय नमः’ को 7 बार बोलें।
फिर चील, कौए, कबूतर, चिड़ियों को गुलगुले के टुकड़े डालें तथा बंदरों को चना, गुड़ खिलाएं। ऐसा 3, 5 या 7 बार करें निश्चित लाभ होता है।