भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया या आखातीज पर किए जाने वाले कर्म अक्षय हो जाते हैं। वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व पर किए जाने वाले जप-तप, दान-पुण्य इत्यादि का फल अक्षय तथा अनंत होता है। जो व्यक्ति सभी तरह के सुख चाहते हैं, उन्हें इस पर्व का लाभ उठाना चाहिए।
अक्षय तृतीया पर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष प्रयोग किए जा सकते हैं।
लक्ष्मी यंत्र या श्रीयंत्र को चावल की ढेरी पर स्थापित कर उत्तराभिमुख हो कमल गट्टे की माला, गुलाबी आसन तथा नैवेद्य खीर का तथा गुलाब का इत्र, कमल या गुलाब पुष्प से पूजन कर निम्न मंत्र का यथाशक्ति जप करें। पश्चात सभी सामग्री यंत्र को छोड़कर पोटली बनाकर या गल्ले-तिजोरी में रख दें।
मंत्र- 'ॐ श्रीं श्रियै नम:।।'
'ॐ कमल वासिन्यै श्रीं श्रियै नम:।।'
'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं श्रियै नम:।।'
ब्रह्म मुहूर्त में इस प्रयोग को करें।