ग्रह जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं वह जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते हैं।
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करे और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपे तो जातक सुखी बन सकता है। साथ में जातक संबंधित ग्रह के क्षेत्र का दान और उस ग्रह के रत्न की माला से जप करे तो जातक प्रसन्न होगा।
क्र. ग्रह रत्न धातु अन्ना वस्त्र माला मंत्र समय जप संख्य ा
1 सूर्य माणिक्य ताम्र गेहूँ लाल रक्तमणि ओम ह्रां हीं सः सूर्याय नमः सूर्योदय 7000