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दिसंबर 2008, मंगलवार को शुक्र मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप कृषि हानि होने के योग बनते हैं। अत: सभी धान्यों के भाव में वृद्धि होगी। बुध का धनु राशि में (10 दिसंबर) से प्रवेश होने से मृग, हाथी, जंगली जानवरों के नाश होने की आशंकाएँ बनती हैं। राजनेताओं-शासक वर्ग एवं आम जनता के बीच विरोध उत्पन्न होगा। गुरु का मकर राशि में प्रवेश अर्थात नीच होने पर शुभ कार्य पूर्ण सफल होने में बाधाएँ आएँगी। रस पदार्थ में तेजी होगी। राजनीतिज्ञों में परस्पर विरोध होगा। इससे शासकों में विग्रह होता है एवं घोर दुर्भिक्ष होता है। इसका सही परिणाम तीन माह बाद ही शुभ आता है। अर्थात सुभिक्ष होगा। इस माह में गुरु-शुक्र-राहु के साथ नेप्च्यून का बैठना अर्थात चतुर्ग्रही योग बनता है। इसके भी दुष्परिणाम परिलक्षित होंगे। इसके प्रभावस्वरूप रक्तपात (नवंबर माह में भी मैंने देश में कष्ट का संकेत दिया था) होगा तथा जलप्लावन होने से जन एवं धन की हानि होने की आशंका बनती है। बुध के धनु राशि में प्रवेश होने से रुई-कपास, चाँदी आदि के भाव में कमी होने के योग हैं। परंतु मंगल का ज्येष्ठा राशि में प्रवेश यह दर्शाता है कि रुई के भाव में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। दिसंबर प्रारंभ में सूर्य के आगे गुरु आने से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखण्ड, बंगाल, उत्तरप्रदेश, विंध्य में हल्की वर्षा होने की संभावना होती है।
कुछ भागों में तेज वायु एवं शीत बढ़ेगी। समुद्रतटीय भागों में तेज बारिश, तूफान के साथ शीतलहर का प्रकोप रहेगा। 15 दिसंबर को 19/45 सूर्य का धनु राशि में प्रवेश करने के फलस्वरूप पूर्व तथा उत्तर के देशों में कष्ट एवं अशांति होगी। इससे बालकों को पीड़ा होगी। दक्षिण के देशों में युद्ध आदि का भय रहेगा। 19 दिसंबर से मंगल धनु राशि में प्रवेश कर रहा है। इसके फलस्वरूप द्रव्य, लकड़ी, घास, घी एवं कपास महँगे होंगे। पशु धन के महँगे होने की पूर्ण संभावना बनती है।
माह के अंत में बुध का मकर राशि में प्रवेश करना शुभ-अशुभ यानी मिला-जुला परिणाम देगा। दिसंबर माह के अंत में पंचग्रही योग अर्थात चतुर्थ ग्रह के साथ प्लूटो का स्थित होना शास्त्रों के अनुसार अशुभ फल देता है। विशेषकर पशुओं का नाश होता है। इसके अलावा माह में शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश होने से गेहूँ के भाव में कमी होगी जबकि सफेद वस्तु (चाँदी, चावल) में तेजी आएगी।
दिसंबर के अंतिम पक्ष में बुध के पश्चिम में उदय होने से तेल, अरण्डी, सरसों आदि में तेजी आएगी। सूर्य-बुध की युति होने से कहीं बूँदाबाँदी एवं शीतलहर होगी। इति शुभम्।