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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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गणेश का शुभ आगमन

गणेश चतुर्थी : ज्योतिष की नजर से

हमें फॉलो करें गणेश का शुभ आगमन
- पं. सुरेंद्र बिल्लौरे
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एह्येहि हेरंब महेशपुत्र समस्त विघ्नौद्या विनाशदक्ष
मांगल्य पूजा प्रथम प्रधान गृहाण पूजां भगवन नमस्ते।।

हे महेशपुत्र समस्त विघ्नों के विनाश करने वाले देवाधिदेव मांगल्य कार्यों में प्रधान प्रथम पूज्य गजानन, गौरी पुत्र आपको नमस्कार है।

गजानन, गौरी पुत्र, महेश पुत्र, एकदंत, वक्रतुंड, विनायक, लंबोदर, भालचंद्र ऐसे नाना प्रकार के नामों से पूज्य श्री गणेशजी की आराधना जो भक्त भाद्रपद शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक करता है। उस भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्‍ट हो जाते हैं एवं उसकी हर मनोकामना गणेशजी पूर्ण करते है।

जितने भी ग्रह-नक्षत्र, राशियां है उनको गणेशजी का अंश माना गया है। यह सत्य है। मन, कर्म, वचन से जो गणेशजी की आराधना करता है, अनुष्‍ठान करता है, उस पर गणेशजी की विशेष अनुकंपा होती है।

गणेशजी की आराधना विद्यार्थी विद्या प्राप्ति के लिए करें, जिसको धन पाना है वह धन प्राप्ति के लिए, मोक्ष पाने वाला मोक्ष प्राप्ति के लिए, पुत्र की कामना वाले व्यक्ति पुत्र प्राप्ति के लिए करें, रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश सभी प्रकार के भक्तों की इच्छा अवश्‍य पूर्ण करते हैं। भगवान गणेश की आराधना सच्चे मन से करने पर हर मनोरथ पूर्ण होंगे।

विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम्
प‍ुत्रार्थी लभते पुत्रान्, मोक्षार्थी लभते गतिम्।।

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ND
देवताओं के भी पूज्य गजानन जी को यक्ष, दानव, किन्नर जो भी पूजता है। वह सुख-संपदा, राज्य भोग, सब प्राप्त कर लेता है। यदि मनुष्य सच्चे दिल से गौरी पुत्र का स्मरण करें तो अवश्य ही समस्त सिद्धियों का ज्ञाता एवं पराक्रमी होता है। श्री गणेश जी के स्त्रोत को जो नित्य जपता है, वह अवश्‍य ही वांछित फल पाता है। इसमें संशय नहीं है।

नमो व्रातपतये नमो गणपतये
नम: प्रथमपतये नमोस्तेतु लंबोदरायैकदन्ताय
विघ्नविनाशिने शिवसुताय श्री वरदमूर्तये नमो नम: ।।

गजानन गणपति को बार-बार नमस्कार है। हे विघ्न विनाश करने वाले, लंबोदर, एकदंत, प्रथमपूज्य, शिवसुताय इस भक्त का प्रणाम स्वीकार करो। इस प्रकार गणेशजी से प्रार्थना करें। वह अवश्‍य आपके मनोरथ पूर्ण करेंगे।

विशेष : गणेश चतुर्थी से अनं‍त चर्तुदशी ‍तक जो भक्त गणपत्यर्वशीर्ष, गणेश चालीसा, संकटनाशक स्त्रोत अथवा गं गणपतये का जप करता है। वह अनन्य गुना फल प्राप्त करता है।

इति शुभम्।

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