सूर्य स्तोत्र, मंत्र और प्रार्थना, सूर्य संक्रांति में पढ़ने से आरोग्य और सौभाग्य के आशीष बरसेंगे
प्रतिदिन अथवा सूर्य संक्रांति (Surya Sankranti) के समयावधि में सूर्य देव की आराधना (Sun Worship) करने से जीवन में आ रहे संकटों से आसानी से मुक्ति मिल जाती हैं। वैसे तो सभी भगवान सूर्य की स्तुति करते हैं। लेकिन जब जीवन में विपरित परिस्थितियां चल रही हो ऐसे समय अथवा जब-जब सूर्य संक्रांति (Surya Sankranti 2022) आती है, उस समय में भगवान सूर्य देव की निम्न प्राचीन प्रार्थना, मंत्र और स्तोत्र पढ़ने से सूर्य नारायण का आशीष बरसता है तथा आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यहां पढ़ें...
Surya Stotram-सूर्य स्तोत्र
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
सूर्य मंत्र-surya mantra
- ॐ सूर्याय नम:।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
- ॐ घृणि सूर्याय नम:।
- ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
भगवान सूर्य देव की प्रार्थना-Surya Prarthna
सूर्य प्रार्थना
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्॥
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मनोभि-
र्ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च॥
प्रातर्भजामि सवितारमन्तशक्तिं
तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्तिं
गोकण्ठबंधनविमचोनमादिदेवम्॥
श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातः प्रातः पठेत् तु यः।
स सर्वव्याधिनिर्मुक्तः परं सुखमवाप्नुयात्॥
सूर्य प्रार्थना का हिन्दी में भावार्थ : 'मैं सूर्य भगवान के उस श्रेष्ठ रूप का प्रातः समय स्मरण करता हूं, जिसका मंडल ऋग्वेद है, तनु यजुर्वेद है और किरणें सामवेद हैं तथा जो ब्रह्मा का दिन है, जगत की उत्पत्ति, रक्षा और नाश का कारण है तथा अलक्ष्य और अचिंत्यस्वरूप है।
मैं प्रातः समय शरीर, वाणी और मन के द्वारा ब्रह्मा, इन्द्र आदि देवताओं से स्तुत और पूजित, वृष्टि के कारण एवं अवृष्टि के हेतु, तीनों लोकों के पालन में तत्पर और सत्व आदि त्रिगुण रूप धारण करने वाले तरणि (सूर्य भगवान) को नमस्कार करता हूं।
जो पापों के समूह तथा शत्रुजनित भय एवं रोगों का नाश करनेवाले हैं, सबसे उत्कृष्ट हैं, संपूर्ण लोकों के समय की गणना के निमित्त भूतकाल स्वरूप हैं और गौओं के कण्ठबंधन छुड़ाने वाले हैं, उन अनंत शक्ति आदिदेव सविता (सूर्य भगवान) का मैं प्रातःकाल भजन-कीर्तन करता हूं।' जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य के स्मरणरूप इन तीनों श्लोकों का पाठ करता है, वह सब रोगों से मुक्त होकर परम सुख प्राप्त कर सकता है।
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