विवाह में जरूरी है त्रिबल शुद्धि, जानिए क्यों

पं. हेमन्त रिछारिया
हमारे षोडश संस्कारों में विवाह का बहुत महत्त्व है। विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर एवं वधु की जन्मपत्रिका अनुसार सूर्य, चन्द्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है।

विवाह के समय सूर्य वर की जन्मराशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश गोचरवश स्थित नहीं होना चाहिए। गुरु कन्या की जन्मराशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश एवं चन्द्र वर-वधु दोनों की जन्मराशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश स्थित नहीं होना चाहिए। 
 
यदि सूर्य, गुरु व चन्द्र गोचरवश इन भावों में स्थित होते हैं तब वे अपूज्य कहलाते हैं। शास्त्रानुसार ऐसी ग्रहस्थिति में विवाह करने का निषेध बताया गया है। कुछ पण्डितगण ऐसी स्थिति में सूर्य व गुरु की शांति कर विवाह की अनुमति दे देते हैं जिसे क्रमश: लाल पूजा या पीली पूजा कहा जाता है किन्तु यह सर्वथा अनुचित है। सूर्य व गुरु की शान्ति केवल उनके गोचरवश पूज्य भावों में स्थित होने पर ही की जा सकती है, 'अपूज्य' स्थानों में स्थित होने पर नहीं। अत: विवाह के समय त्रिबल शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More