25 मई 2017 गुरुवार को शनि जयंती है। प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान शनि की सही तरीके से पूजा करने से उनके प्रकोप से बचा जा सकता है। किसी की कुंडली में शनि की दशा खराब चल रही है तो भी इस दिन उनकी आराधना करने से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अमावस्या 25 मई को सुबह 5: 07 मिनट से शुरू होकर रात 01:14 मिनट तक रहेगी।
जानें शनि पूजा का सही तरीका
वैसे तो शनिदेव की पूजा बाकी देवी देवताओं की ही तरह होती है, लेकिन इनकी पूजा में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इनकी नाराजगी या दशा से देवता भी नहीं बच सके हैं।
सुबह स्नान करके एक लकड़ी की चौकी पर काला वस्त्र बिछाकर शनिदेव की प्रतिमा या सुपारी रखें।
उसके दोनों तरफ घी और तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं।
शनिदेव की प्रतिमा को भी पंचामृत से स्नान करवाएं।
इसके बाद अबीर, काजल, कुमकुम आदि लगाकर नीले रंग के फूल अर्पित करें।
प्रसाद में इमरती या फिर तेल में तली वस्तुओं को चढ़ाएं।
इसके बाद फल अर्पित करके एक बार शनि मंत्र का जाप करें और फिर शनि चालीसा का पाठ करके आरती करनी चाहिए।
शनि जयंती पर विशेष रूप से सूर्य पूजन ना करें, नियमित पूजन करने वाले सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं।