* पढ़ें गुप्त नवरात्रि का महत्व
माघ मास की गुप्त नवरात्रि 9 से लेकर 17 फरवरी 2016 तक रहेगी।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि :-
मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करना चाहिए। 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
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गुप्त नवरात्रि का महत्व : -
देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
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सुबह लाभ व अमृत का चौघड़िया
* सुबह 7.30 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक,
* दोपहर अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 19 मिनट से 2 बजकर 10 मिनट तक,
* इसके बाद चर का चौघड़िया शाम 6 बजे से 7 बजकर 43 मिनट तक।
नवरात्रि में देवी का पूजन आह्वान प्रात:काल ही श्रेष्ठ रहता है किंतु यदि चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग हो तो इनको टाल कर घटस्थापना करनी चाहिए इसलिए अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।
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गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां : -
गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी का पूजन करते हैं।