शुभ : शुभ चंद्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है। सुख और शांति देता है। भूमि और भवन के मालिक चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।
अशुभ : दूध देने वाला जानवर मर जाए। यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां यह जानवर नहीं होते। माता का बीमार होना या घर के जल के स्रोतों का सुख जाना भी चंद्र के अशुभ होने की निशानी है। महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है। राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चंद्र पर पड़ने से चंद्र अशुभ हो जाता है। मानसिक रोगों का कारण भी चंद्र को माना गया है।
उपाय : प्रतिदिन माता के पैर छूना। शिव की भक्ति (ॐ नम: शिवाय का जाप करें)। सोमवार का व्रत। पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोए और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें। चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए। ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः
मकान : चंद्र है तो मकान से 24 कदम दूर या ठीक सामने कुंआ, हैंडपंप, तालाब या बहता हुआ पानी अवश्य होगा। दूध वाले वृक्ष होंगे। घर में शांति होगी।
देवता : शिव
गोत्र : अत्रि
दिशा : वायव
दिवस : सोमवार
वस्त्र : धोती
पशु : घोड़ा
अंग : दिल, बांया भाग
पेशा : कुम्हार, झींवर
वस्तु : चांदी, मोती, दुध
स्वभाव : शीतल और शांत
वर्ण-जाति : श्वेत, ब्राह्मण
विशेषता : दयालु, हमदर्द
भ्रमण : एक राशि में सवा दो दिन।
नक्षत्र : रोहिणी, हस्त, श्रवण
गुण : माता, जायजाद जद्दी,शांति
वृक्ष : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो।
शक्ति : सुख शांति का मालिक, माता का प्यारा, पूर्वजों का सेवक।
वाहन : हिरण, श्वेत रंग के दस घोड़ों से चलने वाला हीरे जड़ीत तीन पहियों वाला रथ है।
राशि : नक्षत्रों और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा के मित्र सूर्य,बुध। राहु और केतु शत्रु है। मंगल, गुरु, शुक्र और शनि सम हैं। राहु के साथ होने से चंद्र ग्रहण।
अन्य नाम : सोम, रजनीपति, रजनीश, शशि, कला, निधि, इंदू, शशांक, शितांसु, मृगांक, सुधाकर और मयंक।