पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्रग्रहण,149 साल बना है दिव्य संयोग, 5 राशियों को होगा खूब फायदा

Webdunia
पर्वों और त्योहारों की श्रृंखला आरंभ हो रही है। 16 जुलाई 2019 को गुरु पूर्णिमा है साथ ही है इस वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण। इस दिन आकाश में दुर्लभ योग निर्मित हो रहा है। यह शुभ संयोग 149 साल बाद बन रहा है। लोग खंडग्रास चंद्रग्रहण के नजारे को साफ आकाश रहने पर दूरदर्शी (टेलीस्कोप) की मदद से देख सकेंगे।
 
 मंगलवार, 16 जुलाई की रात चंद्र ग्रहण होगा। इस खंडग्रास चंद्र ग्रहण में 149 साल में बन रहा योग इसलिए दुर्लभ है, क्‍यों‍कि इस बार गुरुपूर्णिमा के दिन है। इससे पूर्व 149 साल वर्ष पहले गुरु पूनम और ग्रहण का यह संयोग बना था। 
 
इस ग्रहण का असर भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भागों में दिखाई देगा। जब चंद्र अस्त होगा तब न्यूजीलैंड के कुछ भाग, उत्तर तथा दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी भाग, चीन के उत्तरी भाग तथा रूस के कुछ भाग में देखा जाएगा। 

 
इसके साथ ही ग्रहण पूर्ण होने के अपने अंतिम समय में अर्जेन्टिना, बोलीविया, पेरु, चिली, ब्राजील के पश्चिमी भाग और उत्तरी अटलांटिक महासागर में देखा जा सकेगा। एशिया के उत्तर-पूर्वी भाग के अधितर भागों में इसे खुली आंखों से देखना संभव नहीं है।
 
16 जुलाई की रात होने जा रहा ग्रहण 2 घंटे 59 मिनट तक रहेगा जोकि मध्यरात्रि 1 बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होकर प्रात: 4 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसके बाद 4:32 मिनट पर सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा।
 
सूर्य को भारतीय ज्‍योतिष में ग्रहों का राजा माना गया है। यहां इसके कर्क राशि में प्रवेश करते ही कर्क संक्रांति एवं श्रावण मास का प्रारंभ हो जाएगा। संक्रांति का पुण्यकाल 17 जुलाई की सुबह 10:56 तक रहेगा। इसी के साथ चातुर्मास व्रत-नियम, ध्‍यान पूजन की विविध विधियां जो चातुर्मास में होती हैं, सबका आरंभ हो जाएगा। 
 
आषाढ़ मास की पूर्णिमा का यह चंद्र ग्रहण भारत में आरंभ से लेकर इसके मोक्ष होने तक खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा। पूरे 3 घंटे यह रहेगा। इसके 149 साल पूर्व ऐसा ही योग 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर्व पर देखने को मिला था। उस समय भी शनि, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में स्थित था और सूर्य, राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था।
 
ग्रहण के समय शनि और केतु, चंद्र के साथ धनु राशि में रहेंगे। ये ग्रह ग्रहण का प्रभाव और अधिक बढ़ाएंगे। सूर्य और चंद्र अपने चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे। मंगल नीच का रहेगा। सूर्य के साथ राहु और शुक्र रहेंगे। जो आकाशिय स्‍थ‍ितियां ग्रहण के समय बन रही हैं, उनसे जो होगा उस  पर सभी ज्‍योतिष विद्वानों का मत है कि इस ग्रह योग की वजह से भारत सहित जिन देशों में भी यह दिखाई दे रहा है, उन सभी जगह आंतरिक एवं बाहरी तनाव बढ़ेगा। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण इस बात के भी संकेत दे रहा है कि बाढ़, भूकंप, तूफान एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने के योग हैं।
 
खंडग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक इसके प्रारंभ होने से 09 घंटे पहले ही लग जाएगा। सायं 4 बजकर 32 मिनट पर सूतक समय शुरू होगा और वह ग्रहण की समाप्ति के साथ ही खत्म होगा। इसलिए जिन्‍हें भी शुभ कार्य करने हैं, वह सूतक काल आरंभ होने से पूर्व ही पूरा कर लें।

ग्रहण का सभी बारह राशियों पर इसका अच्‍छा-बुरा प्रभाव पड़ेगा। मेष, कर्क, तुला, कुंभ, मीन, राशियों के लिए यह ग्रहण शुभ योग लेकर आ रहा है, जबकि मिथुन, वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर राशिवालों के लिए इस ग्रहण के ज्‍यादा अच्‍छे परिणाम नहीं होंगे। 
 
हिन्‍दू सनातनी आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का पूर्ण धार्मिक लाभ लेने के लिए अपने गुरुवर का ध्‍यान-पूजन तो करे हीं लेकिन यदि संभव हो तो श्री सत्यनारायण व्रत, यथा शक्‍ति दान, ऋषि वेद व्यास की जयंती, कोकिला व्रत अर्थात् कोयल के रूप में मां पार्वती की विशेष पूजा करें। रुद्राभिषेक करा सकते हैं। पूजन दोपहर 1.30 बजे से पहले यानी सूतक लगने से पूर्व करें। उसके बाद सूतक काल शुरु हो जाने से पूजा-पाठ नहीं हो सकेगी। सूतक और ग्रहण काल में सिर्फ मंत्र जाप करें पूजन नहीं। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Akshay Amla Navami 2024: अक्षय नवमी कब है? जानें पौराणिक महत्व

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Dev uthani gyaras 2024 date: देवउठनी देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि

लक्ष्मी नारायण योग से इन 5 राशियों को मिलता है फायदा

अगला लेख
More