मां लक्ष्मी की पूजा से धन की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी की पूजा कई प्रकार से होती है और पूजन सामग्री में एक होता है अष्टगंध। आओ जानते हैं कि माता लक्ष्मी किस तरह इससे प्रसन्न होती हैं।
अष्टगंध को 8 तरह की जड़ी या सुगंध से मिलाकर बनाया जाता है। अष्टगन्ध में आठ पदार्थ होते हैं- कुंकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि। यही आठ पदार्थ सभी ग्रहों को शांत कर देते हैं। इसके इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं। अष्टगंध 2 प्रकार का होता है- पहला वैष्णव और दूसरा शैव। यह प्रकार इसके मिश्रण के अनुसार है। वैष्णव अष्टगंध चंदन, अगुरु, ह्रीवेर, कुष्ट, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी और मुर को मिलाकर बनाया जाता है।
महालक्ष्मी के आठ रूप हैं। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी साधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है।
1. अष्टगंध की सुगंध में श्री लक्ष्मी जी को रिझाने का विलक्षण गुण होता है। माता की पूजा वैष्णव अष्टगंध से करना चाहिए।
2. महालक्ष्मी व्रत पूजन में मध्य रात्रि में गुलाबी आसन पर गुलाबी वस्त्र पहनकर बैठे। पूजा में गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्टलक्ष्मी का चित्र स्थापित करने के बाद गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। लाल फूलों की माला चढ़ाने के बाद गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। फिर हो सके तो मावे की बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्टलक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें। लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें।
इसके बाद कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें- मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।। जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।