गणेश चतुर्थी व्रत आज : कैसे करें पूजन, जानें चंद्रोदय का समय

Webdunia
शनिवार, 5 सितंबर 2020 को आश्विन मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी है। आश्विन कृष्‍ण चतुर्थी यानी पितृ पक्ष में आने वाली इस चतुर्थी पर पूजन का बहुत महत्व है। जीवन के समस्त कष्टों का निवारण करने वाली इस संकष्टी गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। चातुर्मास में आश्विन मास का विशेष महत्व है। 
 
संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चंद्रोदय होने तक उपवास रखने का नियम है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है। आइए जानें... 
 
कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी :-
 
* चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
* इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
 
 
* श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें।
 
* तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें।
 
* फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें।
 
* गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।
 
 
* श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'
 
* सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।
 
* चतुर्थी के दिन व्रत-उपवास रख कर चन्द्र दर्शन करके गणेश पूजन करें। 
 
* तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।
 
 
* विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।
 
* इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें। 
 
चंद्रोदय का समय -
 
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 5 सितंबर को शाम 04.38 से होगा तथा चतुर्थी तिथि समापन 6 सितंबर को रात्रि 07.06 मिनट पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय 08.38 मिनट रहेगा। अत: शाम को चंद्रदर्शन के बाद व्रत को खोलें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी पर इस बार जानिए पितृदोष से मुक्ति के 5 अचूक उपाय

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

13 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

नीलम कब और क्यों नहीं करता है असर, जानें 7 सावधानियां

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?

अगला लेख
More