कब होता है कालसर्प योग का प्रभाव, आइए जानें कुछ विशेष बातें...

Webdunia
* नागपंचमी के दिन नागों के पूजन से दूर होगा कालसर्प योग का प्रभाव... 
 
27 जुलाई, गुरुवार को नागपंचमी का महत्वपूर्ण पर्व आ रहा है। जैसा कि नाम से विदित होता है, यह पर्व नागों की पूजा के लिए मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में नागों को देवता के समान माना गया है और पूर्ण श्रद्धा से इनका पूजन आदि किया जाता है। इसीलिए नागों को देवताओं के समान पूजा जाता है। 
 
यदि आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो आपके लिए शुभ घड़ी आने वाली है नागपंचमी के दिन। नागपंचमी के शुभ अवसर पर लोग नागों को दूध पिलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। आपको इस दिन कालसर्प दोष शांति के लिए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।
 
नागपंचमी के दिन लोग नागों की पूजा करने के पीछे सबसे बड़ी बात यह भी है कि जो लोग कालसर्प दोष से पीड़ित होते हैं वे नागों की पूजा करके तथा अन्य उपायों द्वारा इस दिन कालसर्प दोष की शांति करते हैं। आइए, हम भी इस नागपंचमी को कालसर्प दोष से पड़ने वाले कुप्रभावों को कुछ कम कर लें।
 
कब होता है कालसर्प योग का प्रभाव ?
 
* जब-जब राहु की दशा, अंतरदशा, प्रत्यांतर दशा आती है।
 
* जब-जब भी गोचर वशात् राहु अशुभ चलता हो।
 
* जब भी गोचर से कालसर्प योग की सृष्टि हो।
 
* जब भी लग्न या सप्तम भाव में राहु या केतु, केतु या राहु से कालसर्प योग बने व शेष ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि इनके मध्य आ जाएं तो 'पूर्व प्रकाशित कालसर्प योग' बनता है।
 
* राहु का स्थान वैदिक वाङ्मय के आधार पर चुंबकीय आधार पर दक्षिण दिशा में है और ठीक विपरीत केतु का स्थान उत्तर दिशा में है। राहु-केतु के मध्य लग्न और सप्तम भाव के मध्य अन्यान्य ग्रह हो या इनके साथ भी अन्य ग्रह हो तो कालसर्प योग होता है। जन्मांग में ग्रह स्थिति कुछ भी हो, पर यदि सर्प योनि हो तो निश्चय ही 'कालसर्प योग' बनता है।
 
* राहु-केतु के मध्य शेष में से छह ग्रह हों एवं एक ग्रह बाहर हो तो वह ग्रह राहु के अंश से अधिक अंश में हो तो काल सर्प योग भंग होता है।
 
* अनुभव एवं भिन्न-भिन्न कुंडलियां देखने पर पाया गया है कि कालसर्प योग परिवार के एक ही सदस्य के जन्मांग में नहीं रहता, अपितु परिवार के अन्यान्य की कुंडलियों में भी यह योग होता है अत: सांगोपांग अध्ययन के लिए परिवार के सभी सदस्यों की कुंडली का अध्ययन भली प्रकार किया जाना चाहिए और तब निर्णय पर पहुंचना चाहिए।

ALSO READ: कालसर्प योग से राहत पाने के 3 प्रभावशाली उपाय...
 
कालसर्प योग क्या कभी कमजोर होता है?
 
* जब द्वादश भाव या द्वितीय भाव में शुक्र हो।
 
* जब लग्न या केंद्र (4, 7, 10) में बृहस्पति हो।
 
* जब बुधादित्य योग हो।
 
* जब दशम मंगल हो।
 
* जब मालव्य योग अर्थात केंद्र में स्वग्रही या उच्च का शुक्र हो।
 
* जब केंद्रस्थ स्वग्रही मंगल 'रूचक योग' की सृष्टि करता हो।
 
* जब शनि उच्च राशिस्थ तुला में होकर लग्न या केंद्र में होकर 'शशक योग' बना रहा हो।
 
* चंद्र-मंगल की युति केंद्र में हो, पर मंगल, मेष, वृश्चिक या मकर का हो एवं चंद्रमा उसके साथ लेकर लक्ष्मी योग बनाता हो। 

ALSO READ: ये लक्षण दिखाई दें तो समझें आप कालसर्प योग से पीड़ित हैं...

 
कैसे करें नागदेवता की पूजा (देखें वीडियो) 
 


 
Show comments

ज़रूर पढ़ें

दिवाली पर क्यों बनाते हैं रंगोली? जानिए क्या है रंगोली का इतिहास

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव का त्योहार कब है, जाने पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

रंगोली में इन 18 शुभ प्रतीकों का है खास महत्व, धर्म और आस्था को मजबूत करती है ये कला

Dhanteras 2024 date and time: धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और यमदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: 23 अक्टूबर का दिन क्या लेकर आया है सभी के लिए, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

23 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 अक्टूबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Rama ekadashi date time: रमा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व और कथा

Ahoi ashtami 2024: अहोई अष्टमी की पूजा क्यों करते हैं? जानें सही तिथि और पूजा विधि

अगला लेख
More