क्यों पसंद आए ओबामा
पूँजीवादी देश में 'नस्लीय समाजवाद'
मानवीय सभ्यता के लिहाज से 5 नवंबर का दिन शायद सबसे बड़ा माना जाएगा। 400 साल पहले तक जो गुलाम थे आज उन्हीं में से एक दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का शासक होगा। करवट का समय, नई सोच का समय, एक ऐसा मौका जो शायद किसी भी गुलाम की कल्पना से परे होगा।
यह बड़ी बात है कि पूँजीवादी अमेरिका में नस्लीय समाजवाद आ गया है। दुनिया को बराबर नजर से देखने का वक्त। ओबामा 'नफरत के ओसामाओं' के लिए भी सबक है और मानव के विकास की नई इबारत भी है। ऐसा लगा कि स्टैच्यू ऑव लिबर्टी ने अब उसको बागडोर सौंपी है, जिसके पूर्वज कभी उसकी ओर हसरत भर के देख भी नहीं सकते थे।
ओबामा को 2004 से नोटिस किया जाने लगा। 2004 में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में उनके भाषण ने वहाँ के लोगों और बाहर उसे सुनने वालों को उद्वेलित कर दिया था। वे उसी वर्ष इलिनॉय राज्य से अमेरिकी सीनेट निर्वाचित हुए थे।
सीनेट निर्वाचित होने के बाद बराक ओबामा ने कहा था 'कोई उदार या रूढ़िवादी अमेरिका नहीं है, बल्कि वह केवल एक है-संयुक्त राज्य अमेरिका। हम सब एक हैं, हम सभी की निष्ठा अमेरिकी झंडे में हैं। हम सब संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा कर रहे हैं।'
अपनी परिष्कृत भाषण शैली, वाक्पटुता और शब्दों के जादू, युवा मतदाताओं के उस्साह को बढ़ाने की क्षमता और चुनाव अभियान में इंटरनेट के कुशल प्रयोग के कारण ओबामा सही अर्थ में 21वीं सदी के राष्ट्रपति हैं।
ऐसा सोचते हैं संगी साथी : ओबामा के लॉ स्कूल के सहपाठी कसांड्रा बट्स ने बताया कि बराक में विरोधाभासी दिखाई देने वाली सच्चाइयों को भी एक दिशा में लाने की अद्भुत क्षमता है। ऐसा तभी संभव होता है जब घर में आपको श्वेत लोग पाल-पोस रहे हों और बाहर की दुनिया आपको अश्वेत मानती हो।
स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी : यह अमेरिका का राष्ट्रीय स्मारक माना जाता है और इसी के आधार में अमेरिका में प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता की बड़ी अहमियत मानी जाती रही है। यह प्रतिमा 1886 में फ्रांस के लोगों ने अमेरिकियों को दी थी। तब से लेकर आज तक यह न्यूयॉर्क हार्बर के लिबर्टी द्वीप पर खड़ी है। 28 अक्टूबर को यह लोकार्पित की गई।
इन्होंने बनाया : इसे बनाने वाले फ्रेडरिक आगस्त बार्थोल्दी थे। इसकी भीतरी संरचना एफिल टॉवर बनाने वाले गुस्ताव एफिल ने बनाई थी। यह प्रतिमा एक महिला की है, जो हाथ में टॉर्च लेकर खड़ी है। यह पूरी तरह से ताँबे की है। यह 151 फुट लंबी है, परंतु इसकी नींव को मिलाकर यह 305 फुट लंबी हो जाती है।
ये है संदेश : इस प्रतिमा के ताज में लगे सात शूल सात महाद्वीप और सात समंदर का संकेत देते हैं। उसका टॉर्च उजाले का प्रतीक है। उसके हाथ की पुस्तक उसके ज्ञान का प्रतीक है। साथ ही वह अमेरिका की आजादी की तारीख भी बताती है।
इस प्रतिमा के चेहरे को लेकर दो मत हैं। एक के मुताबिक इसका चेहरा बार्थोल्दी की माँ से मेल खाता है, या फिर अमेरिका के एक उद्यमी की फ्रांसीसी पत्नी इसाबेल से मेल खाता है। इसाबेल अमेरिका के सिलाई मशीन बनाने वाले उद्यमी की विधवा थी और बार्थोल्दी ने उसी से प्रतिमा का चेहरा बनाने की प्रेरणा ली। (नईदुनिया)