श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा

Webdunia
मंगलवार, 17 अक्टूबर 2023 (14:37 IST)
Shree Vindheshwari Chalisa: भगवान श्री कृष्‍ण की बहन है माता विन्ध्यवासिनी। जिस समय श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ था उसी समय माता यशोदा के यहां एक पुत्री का जन्म हुआ था। यही पुत्री मां विंध्यवासिनी हैं।  भगवान विष्णु की आज्ञा से माता योगमाया ने ही यशोदा मैया के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था। भारत में मां विंध्यवासिनी की पूजा और साधना का बहुत प्रचलन है। उनकी साधना तुरंत ही फलित होती है। आओ उनकी चालीसा पढ़ें।
 
 
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा | Shree Vindheshwari Chalisa
 
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब | 
संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब ॥
 
जय जय जय बिंध्याचल रानी ।
आदि सक्ति जगबिदित भवानी ॥
 
सिंह बाहिनी जय जगमाता। 
जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥
 
कष्ट निवारिनि जय जग देवी। 
जय जय संत असुर सुरसेवी ॥
 
महिमा अमित अपार तुम्हारी । 
सेष सहस मुख बरनत हारी ॥
 
दीनन के दुख हरत भवानी । 
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी ॥
 
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत बिख्याता।।
 
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे ।
सो तुरतहिं बांछित फल पावे ॥ 
 
तू ही बैस्नवी तू ही रुद्रानी । 
तू ही सारदा अरु ब्रह्मानी ॥ 
 
रमा राधिका स्यामा काली । 
तू ही मात संतन प्रतिपाली ॥
 
उमा माधवी चंडी ज्वाला । 
बेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 
 
तुम ही हिंगलाज महरानी ।
 तुम ही सीतला अरु बिज्ञानी ॥ 
 
तुम्ही लच्छमी जग सुख दाता ।
दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता ॥
 
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी । 
हेमावती अंबे निरबानी ॥ 
 
अष्टभुजी बाराहिनि देवा । 
करत बिस्नु सिव जाकर सेवा ॥
 
चौसट्टी देबी कल्यानी।
गौरि मंगला सब गुन खानी ॥
 
पाटन मुंबा दंत कुमारी । 
भद्रकाली सुन बिनय हमारी॥ 
 
बज्रधारिनी सोक नासिनी । 
आयु रच्छिनी बिंध्यबासिनी ॥ 
 
जया और बिजया बैताली । 
मातु संकटी अरु बिकराली ॥
नाम अनंत तुम्हार भवानी।
बारनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
 
जापर कृपा मातु तव होई ।
तो वह करै चहै मन जोई ॥
 
कृपा करहु मोपर महारानी । 
सिध करिये अब यह मम बानी ॥
 
जो नर धेरै मातु कर ध्याना । 
ताकर सदा होय कल्याना ॥
 
बिपति ताहि सपनेहु नहि आवै । 
जो देबी का जाप करावै ॥
 
जो नर कहे रिन होय अपारा। 
सो नर पाठ करे सतबारा ।।
 
निःचय रिनमोचन होड़ जाई । 
जो नर पाठ करे मन लाई ॥ 
 
अस्तुति जो नर पढ़ें पढ़ावै । 
या जग में सो बहु सुख पावै ॥ 
 
जाको ब्याधि सतावै भाई।
जाप करत सब दूर पराई ॥
 
जो नर अति बंदी महँ होई ।
बार हजार पाठ कर सोई ॥
 
निःचय बंदी ते छुटि जाई । 
सत्य बचन मम मानहु भाई ॥
 
जापर जो कुछ संकट होई । 
निःचय देबिहि सुमिरै सोई ॥
 
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई । 
सो नर या बिधि करै उपाई ॥ 
 
पाँच बरष सो पाठ करावै । 
नौरातर महँ बिप्र जिमावै ॥
 
निःचय होहि प्रसन्न भवानी । 
पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी ॥
 
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै । 
बिधि समेत पूजन करवावै ॥
 
नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहि आन उपाई ॥
 
यह श्री बिंध्याचल चालीसा । 
रंक पढ़त होवै अवनीसा ॥
 
यह जनि अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृष्टि जापर है जाई ॥ 
 
जय जय जय जग मातु भवानी । 
कृपा करहु मोहि पर जन जानी ॥
 
॥ श्रीविन्ध्येश्वरीचालीसा सम्पूर्ण ॥

Related News

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

करवा चौथ पर उत्तर प्रदेश के शहरों में कब निकलेगा चांद?

महाभारत के 9 ऐसे श्राप जिन्होंने बदल दिया पूरा इतिहास

दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को निर्धारित, अधिकांश विद्वानों का शास्त्रसम्मत मत

Karwa chauth 2024: करवा चौथ पर इंदौर में कब निकलेगा चांद?

Karwa Chauth Vrat: इन 6 महिलाओं को नहीं रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत

सभी देखें

धर्म संसार

धनतेरस पर क्यों खरीदना चाहिए नमक? जानिए इसके पीछे का कारण

धनतेरस पर क्या नहीं खरीदना चाहिए, धनतेरस की खरीद से पहले जानिए महत्वपूर्ण बातें

Aaj Ka Rashifal: 19 अक्टूबर का दिन, किन राशियों के चमकेंगे सितारे, पढ़ें अपना भविष्यफल

19 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

19 अक्टूबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More