बीत रहे वर्ष 2009 के दौरान भारत ने बहुत सारी घटनाओं को अपने आँचल में समेटा है। अच्छी-बुरी दोनों तरह की घटनाओं के साथ इस अवधि में ऐसी घटनाएँ भी हुई हैं जिनका ऐतिहासिक महत्व है तो ऐसी भी जिनका असर तात्कालिक रहा। फिर भी इतिहास में उन्हीं घटनाओं को स्थान मिलता है जिनका समय की गति पर जितना अधिक महत्व साबित होता है। इस दृष्टि से इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटना रही है संप्रग सरकार की सत्ता में दोबारा वापसी।
मनमोहन बने असरदार: सोनिया गाँधी के नेतृत्व में यूपीए ने अप्रत्याशित सफलता हासिल करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह को दोबारा प्रधानमंत्री बनवा दिया। जबकि अक्टूबर में हुए तीन विधानसभाओं के चुनावों में भी यथास्थिति कायम रही और हरियाणा, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में निवर्तमान मुख्यमंत्री ही दोबारा पद पर बने रहने में कामयाब रहे। राजनीतिक यथास्थितिवाद का शिकार आंध्रप्रदेश, सिक्किम और उड़ीसा के भी चुनाव रहे जिनमें निवर्तमान सरकारों और मुख्यमंत्रियों को ही जीत हासिल हुई। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के चलते मेघालय में दो माह तक राष्ट्रपति शासन के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन सरकार ने सत्ता सँभाली। राज्य में मुख्यमंत्री डी डी लपांग ने सरकार का नेतृत्व संभाला। पंजाब में सुखबीर सिंह बादल को फिर से उप मुख्यमंत्री बनाया गया। उल्लेखनीय है कि पंजाब की तरह तमिलनाडु में भी पिता के. करुणानिधि (पिता) और पुत्र (एम के स्टालिन) क्रमश: मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पदों पर हैं।
भाजपा में बदलाव: देश में एनडीए की प्रमुख दल भाजपा में भी भारी बदलाव हुआ है। संसद में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से जहाँ लालकृष्ण आडवाणी ने इस्तीफा देकर सुषमा स्वराज के लिए जगह बनाई, पार्टी प्रमुख ने दबावों के चलते इस्तीफा देकर संघ की पसंद नितिन गडकरी को अपनी कमान सौंप दी। कहा जा सकता है कि पार्टी का नेतृत्व अपेक्षाकृत अधिक नौजवान पीढ़ी के हाथों में आ गया लेकि संघ चाहकर भी आडवाणी को सक्रिय राजनीति से बाहर कर पाने में सफल नहीं रहा।
जिन्ना पर लिखी किताब के चलते भाजपा ने अपनी पार्टी के एक वरिष्ठ और प्रखर नेता जसवंत सिंह को दल से ही बाहर कर दिया। वर्ष के समाप्त होने से पहले राजनाथ सिंह ने पार्टी प्रमुख पद से त्यागपत्र दे दिया और महाराष्ट्र के नितिन गडकरी को भाजपा का अगला अध्यक्ष बना दिया गया।
आंध्र में अफरा-तफरी सितम्बर माह में एक दुखद घटना में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस आर रेड्डी का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया। रेड्डी का निधन राज्य में एक ऐसा शू्न्य पैदा कर गया जिसे अभी तक नहीं भरा जा सका। हालाँकि आंध्र प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी का एक बड़ा कारण 10 जिलों को अलग कर पृथक तेलंगाना की माँग को केन्द्र सरकार द्वारा मान्यता दिया जाना रहा जिसके बाद से राज्य में तेलंगाना के समर्थन और विरोध में आंदोलनों का दौर जारी है। इस मामले पर जहाँ टीआरएस नेता चन्द्रशेखर राव ने आमरण अनशन शुरू कर दिया वहीं कई विधायकों ने इस्तीफे दे डाले। '
लाल' हुआ बंगाल केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में लालगढ़ में हुई हिंसा को देखते हुए माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे उग्रवादी संगठन घोषित कर दिया। लोकसभा चुनाव में ममता की तृणमूल मजबूती से आगे बढ़ी। चाँद पर खोजा पानी: इस वर्ष के दौरान वैज्ञानिक क्षेत्र में बहुत सी उपलब्धियाँ भारत के नाम रहीं। राष्ट्रीय महत्व की इन घटनाओं के अंतर्गत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के ब्लॉक टू संस्करण को सेना में शामिल कर लिया गया। स्वदेशी इंटरसेप्टर मिसाइल का तीसरा परीक्षण सफल हुआ और मई माह में उड़ीसा के तट के पास व्हीलर द्वीप से इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि दो और अग्नि तीन के सफल परीक्षण किए गए। अक्टूबर माह में पृथ्वी-2 मिसाइल के परीक्षण भी किए गए। देश ने विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियाँ हासिल करते हुए रडार इमेजिंग सैटेलाइट रीसैट टू और समुद्र निगरानी उपग्रह ओशनसैट-2 के सफल परीक्षण किए। 23 सितम्बर को पीएसएलवी -सी 14 का ओशनसैट टू और 6 विदेशी नैनो सैटेलाइट के साथ पहली पूर्णत: व्यावसायिक उड़ान भरी। यह लगातार 15 वीं सफल उड़ान थी। हालाँकि चंद्रयान 1 का अगस्त 2009 से इसरो से सम्पर्क टूट गया लेकिन इससे पहले इसने 312 दिनों तक चंद्रमा की कक्षा में रहने के दौरान 3400 से अधिक चक्कर लगाए और पृथ्वी पर जो आँकड़े भेजे उनसे साबित हुआ कि चंद्रमा की सतह पर पानी मौजूद है। इस खोज की नासा ने भी पुष्टि की और चंद्रयान की इस उपलब्धि की सारी दुनिया में सराहना हुई। जाँच रिपोर्टों पर बवाल बाबरी कांड की जाँच पूरी कर लिब्राहन आयोग ने प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी और दिसम्बर माह में संसद के दोनों सदनों में इस रिपोर्ट को लेकर भारी शोर शराबा हुआ। वर्ष के समाप्त होने से पहले संसद में रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट को भी पेश कर दिया गया जिसमें सिफारिश की गई है कि अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए सरकार को आरक्षण जैसे उपाय करने चाहिए। बढ़ती नक्सली सरगर्मियाँ इस वर्ष नक्सली हिंसा के चलते सैकड़ों लोगों की जानें गईं जबकि सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पाँच वर्ष में नक्सली हिंसा के चलते 3338 लोगों की मौत हुई। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वायुसेना की तैनाती पर काफी काफी कहा-सुना गया। इस साल झारखंड के लातेहार जिले में नक्सलियों ने मुगलसराय से बरकाना जा रही एक पैसेंजर ट्रेन को अगवा कर लिया। माओवादियों ने आतंक फैलाने के उद्देश्य से झारखंड पुलिस के खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार को मार दिया गया। शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति इस वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत कुछ किया गया और केन्द्र सरकार ने 15 नए केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना और तीन राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोन्नत कर केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। देश में सात नए आईआईए खोले गए और आठ नए आईआईटी की नींव रखी गई। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत नौ नए एनआईटी की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है। दिल्ली में दक्षेस विश्वविद्यालय बनाए जाने के अलावा सीबीएसई की दसवीं कक्षा की परीक्षा को वैकल्पिक बना दिया गया और इसमें विद्यार्थियों को ग्रेड देने की व्यवस्था की गई है। एम्स की तर्ज पर देश में छह नए चिकित्सा संस्थानों को बनाने का फैसला लिया गया तो उच्च शिक्षा में सुधार के लिए यशपाल समिति ने अपनी सिफारिशें मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को सौंपी। मिलेगी पहचान सरकार ने देश के सभी नागरिकों को विशिष्ट पहचान संख्या (यूनीक आइडेंटिटी नंबर-यूआई नंबर) तय करने का फैसला करते हुए इसके क्रियान्वयन के लिए एक प्राधिकरण गठित किया। नंदन नीलकेणि को इसका प्रमुख बनाया गया। प्राधिकरण जनसंख्या का डाटाबेस तैयार करेगा और प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करेगा। इस संख्या का कई महत्वपूर्ण मामलों में उपयोग किया जा सकेगा।
मजबूत हुई सुरक्षा बढ़ते आतंकवाद और देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी-एनआईए- का गठन किया गया जोकि देश में एफबीआई की तरह देश की सम्प्रभुता और एकता से जुड़ी चुनौतियों की जाँच करेगी। एफबीआई की पकड़ में आए मुंबई हमले के कथित रणनीतिकारों को अमेरिका में पकड़ा गया लेकिन उनके संबंध में जो जानकारियाँ उजागर हुईं उनसे यह भी साबित हुआ कि हमारी खुफिया और सुरक्षा व्यवस्था में जबर्दस्त खामियाँ हैं जिनके चलते हमें जानकारी तब होती है जब आतंकवादी घटनाएँ हो जाया करती हैं। कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग चलाने को लेकर गहमा गहमी रही। पर इन मामलों में विभिन्न दलों की राजनीति भी सामने आई और न्यायपालिका तथा न्यायाधीशों से जुड़े मुद्दे भी राजनीतिक उठापटक से अछूते नहीं रहे।
तेल डिपो अग्निकांड
वर्ष अक्टूबर माह में जयपुर स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के तेल डिपो में भीषण आग गई जोकि कई दिनों के बाद बुझाई जा सकी। इसे देश के सबसे भीषण अग्निकांड माना जा सकता है। एक दर्जन से ज्यादा मौतें और 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की हानि इस घटना में हुई। इसी तरह की एक रेल दुर्घटना मथुरा के पास 21 अक्टूबर, 2009 को हुई। यहाँ गोवा एक्सप्रेस ने मेवाड़ एक्सप्रेस को टक्कर मार दी जिससे 22 यात्रियों की इस दुर्घटना में मौत हुई।
वर्ष के दौरान उत्तराखंड सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ और भाजपा के ही रमेश पोखरियाल निशंक को नया मुख्यमंत्री बनाया गया। 19 जनवरी, 2009 से निलम्बित चल रही झारखंड विधानसभा के चुनाव भी इसी वर्ष दिसम्बर माह में कराए गए हैं।
इसी वर्ष नवीन चावला को देश का मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाया गया तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी अध्यक्ष पद पर रहने के 11 वर्ष पूरे किए। भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व केन्द्रीय संचार मंत्री सुखराम को तीन वर्ष की सजा मिली। साथ ही, उन पर दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया लेकिन बाद अपील करने के लिए जमानत भी दे दी गई।
शीर्ष पदस्थों को वेतन बढ़ोतरी
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने के विवादित मामले को विराम देते हुए सम्पत्ति का व्यौरा देने का स्वैच्छिक फैसला किया। इस वर्ष राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि की गई। केन्द्रीय सतर्कता आयोग और संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों का भी वेतन भत्ता बढ़ाया गया।
भारत को इस वर्ष फ्रांस और रूस से यूरेनियम की प्राप्ति हुई जबकि सीबीआई ने विवादित बोफोर्स मामले में दलाली खाने के आरोपी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने की याचिका दायर करने को लेकर संसद के अंदर और इसके बाहर भारी हंगामा हुआ। यह मामला भी कोर्ट तक पहुँच गया है और संभावना जाहिर की जा सकती है कि संभवत: कोर्ट ही इस मामले में कोई अंतिम फैसला सुनाए।
भारत में पंचायती राज के पचास वर्ष पूरे होने पर 2009-10 को ग्राम सभा वर्ष घोषित किया गया है और 'नरेगा'का नामकरण महात्मा गाँधी के नाम पर किया गया है। अक्टूबर माह में भारत ने स्वयं को बर्ड-फ्लू वायरस से मुक्त घोषित कर दिया जबकि देश में इस वर्ष स्वाइन फ्लू के चलते एक सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इस बीमारी का असर बेंगलुरू,पुणे, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली और अन्य शहरों में देखा गया जबकि इस बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र राज्य में हुईं।