भोपाल। भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नेतृत्व की कमजोरी के कारण हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। राजनैतिक लाभ हानि के कारण इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका। यह हमारी बहुत बड़ी कमजोरी है।यह बात केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तीन दिवसीय 10वां विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन अवसर पर कही।
राजनाथ ने कहा कि जब योग के लिए 177 देशों का समर्थन जुटाया जा सकता है तो हिन्दी के लिए 127 देशों का समर्थन क्यों नहीं जुटाया जा सकता। हिन्दी भारत की राजभाषा ही नहीं संपर्क भाषा भी है। गिरमिटिया मजदूर हिन्दी को भारत से बाहर लेकर गए। हिन्दी को मरने नहीं दिया। अंग्रेजी के बाद हिन्दी दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
गूगल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इंटरनेट में हिन्दी में सर्वाधिक कंटेंट पाया जाता है। हिन्दी संस्कृत के सबसे नजदीक है, इसीलिए भारत की सभी भाषाओं की बड़ी बहन है। हिन्दी की वर्तनी सबसे वैज्ञानिक है। हिन्दी का आकर्षण विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। हिन्दी भारत के सांस्कृतिक और जीवन मूल्यों का समर्थन करती है।
राजनाथ के अनुसार स्वतंत्रता संग्राम को अखिल भारतीय स्वरूप हिन्दी ने ही दिया है। इस अवसर पर देश विदेश के दर्जनभर से ज्यादा विद्वानों को विश्व हिन्दी सम्मान प्रदान किया गया।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सम्मेलन से हिन्दी की बेहतरी के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार हुआ है। हिन्दी का भविष्य उज्ज्जवल है। इस आयोजन की पूरे देश और दुनिया में चर्चा हो रही है। अंग्रेजी मानसिकता को बदलने की कोशिश करना पड़ेगी। इस देश में सरकार और समाज दोनों को काम करना पड़ेगा।
शिवराज ने कहा कि हिन्दी बोलने के कारण मेरा सम्मान बढ़ा। अटलबिहारीहिन्दी विश्व विद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा।
इस मौके पर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि 2018 का विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरिशस में होगा। समापन समारोह में अनिल दवे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि घर में हिन्दी रही तो हम विश्व में चले जाएंगे, अत: अपने घर से जाती हुई हिन्दी को रोकें।
विश्व हिन्दी सम्मेलन के अंतिम सत्र में विभिन्न सत्रों मे हुई चर्चा और उनकी सिफारिशों को भी पढ़ा गया। (वेबदुनिया न्यूज)