विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी विषय पर आयोजित सत्र में डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि हमें छोटी-छोटी बातों में हिन्दी को जीवन में शामिल करना होगा। किसी भी काम को करने के लिए आप हिन्दी से जुड़ें, जिसकी शुरुआत आप हस्ताक्षर से करें। आपके हस्ताक्षर हिन्दी में होना चाहिए, आपके बैंक खातों हिन्दी में होना चाहिए और निमंत्रण देने की प्रक्रिया को भी अपने जीवन में हिन्दी में शामिल करना चाहिए।
बच्चों को अंग्रेजी के साथ हिन्दी की संस्कृति से भी जोड़े रखनी की कोशिश करनी होगी, ताकि वे भी हिन्दी से जुड़े रहें। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि शब्दकोष आयोग से लेकर राजकीय अधिकारी तक कई प्रकल्पों में हिन्दी में काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह संभव हुआ है, उन्होंने अटल जी से सीखा है।
ये दोनों ही हिन्दी और विज्ञान प्रेमी हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने सत्रों के बारे में बताया कि उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी विषय पर बोलने का मौका मिला। यहां 5 लेखक और वैज्ञानिकों ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विज्ञान में हिन्दी को बढ़ाने का सुझाव दिया है। विभाग के यहां बाहर काम हो गए, बाकी काम बाकी है जो भी नए सुझाव आए हैं और आने वाले समय में काम करेंगे। इसके लिए जनआंदोलन को घर-घर, गरीबों तक, आदिवासी क्षेत्रों तक पहुंचाना होगा।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बालकृष्ण सिन्हा ने कहा कि विज्ञान के प्रसार-प्रचार के लिए ऐसी शब्दावली की आवश्यकता होती है, जिसमें भावों को उजागर करने की पूर्ण क्षमता हो। तभी विज्ञान की जानकारी को शब्दावली के माध्यम से अच्छी तरह से अभिव्यक्त किया जा सकता है।
डॉ. सुभाष लखेड़ा ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति के लिए विज्ञान का सृजन और उसका संचार दोनों ही बेहद जरूरी है। इसके लिए हम ऐसे सभी सरकारी विभागों की ओर ध्यान देना होगा जिनसे विज्ञान संचार की अपेक्षा की जाती है।